"पुष्यभूति राजवंश": अवतरणों में अंतर
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| continent = दक्षिण एशिया
|image_map = South Asia historical AD590 EN.svg
| image_map2 =
| image_map_caption = पुष्यभूति राजवंश का राज्यक्षेत्र आधुनिक समय के [[थानेसर]] के चारों ओर स्थित था। (ऊपर का मानचित्र)<br />अपने चरमोत्कर्ष के समय पुष्यभूति साम्राज्य का विस्तार ([[हर्षवर्धन|हर्ष का साम्राज्य]]) (नीचे वाला मानचित्र)
| year_start = ६ठी शताब्दी
| year_end = ७वीं शताब्दी
| capital = [[थानेसर]]<br />[[कन्नौज]]
| government_type = [[राजतन्त्र]]
| p1 = पश्चातवर्ती गुप्त राजवंश
| p2 =
| s1 = गुर्जर-प्रतिहार राजवंश
}}
'''पुष्यभूति राजवंश''' ( [[अन्तर्राष्ट्रीय संस्कृत लिप्यन्तरण वर्णमाला|आईएएसटी]] : '''
राजवंश ने शुरू में स्थानविश्वर (आधुनिक [[थानेसर]], [[हरियाणा]]) से शासन किया, लेकिन हर्ष ने अंततः कन्याकुब्ज (आधुनिक [[कन्नौज]], [[उत्तर प्रदेश]]) को अपनी राजधानी बनाया, जहां से उन्होंने 647 इस्वी तक शासन किया।
डोंडियाखेडे में [[हर्षवर्धन]] के वंशज रामबक्श सिंह बैस को 1857 में अंग्रेजों द्वारा फांसी दे दी गई थी। और इनके वंशजों को वहां से पलायन करना पड़ा था क्योंकि अंग्रेजों द्वारा किले को घेर लिया गया और तोड़ा गया। ▼
हर्षवर्धन की पीढ़ी में ही महाराज केशवचंद्र बैस हुए जिन्होंने [[चंदावर का युद्ध|चंदावर]] के युद्ध में [[जयचन्द|जयचंद]] गहड़वाल का समर्थन किया और [[मोहम्मद ग़ोरी|मोहम्मद]] गोरी के विरुद्ध युद्ध किया और वीरगति को प्राप्त हुए। इनके वंशज राव अभयचंद्र बैस बैसबरे राज्य की स्थापना की और [[उन्नाव जिला|उन्नाव]] जिले के डोंडियाखेड़े को अपनी राजधानी बनाया।
▲डोंडियाखेडे में [[हर्षवर्धन]] के वंशज रामबक्श सिंह बैस को 1857 में अंग्रेजों द्वारा फांसी दे दी गई थी। और इनके वंशजों को वहां से पलायन करना पड़ा था क्योंकि अंग्रेजों द्वारा किले को घेर लिया गया और तोड़ा गया।
== व्युत्पत्ति और नाम ==
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