"अहिंसा": अवतरणों में अंतर

No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 1:
{{बन्द सिरा}}
{{स्रोतहीन|date=जुलाई 2015}}
'''अहिंसा''' का सामान्य अर्थ है हत्या न करना'या पर दंड ना देना ऐसा बिल्कुल नहीं होता याने अपराधी को हत्यारे को जो बिना कारण दुसरो की हिंसा करें या पीड़ा दे उसकी हिंसा करना याने उसे दंडित करना भी होता हैँ अहिंसा का अर्थ होता हैँ दमन करना अगर आपके मन में हीन भावना उत्पन्न हुई तो उसका दमन भी अहिंसा हैँ और अपराधी आतंकी आतातायी का दमन करना भी अहिंसा ही हैँ अहिंसा का ही अर्थ धर्म हिंसा हैँ । इसका व्यापक अर्थ है - किसी भी प्राणी को तन, मन, कर्म, वचन और वाणी से कोई नुकसान न पहुँचाना। मन में किसी का अहित न सोचना, किसी को कटुवाणी आदि के द्वार भी नुकसान न देना तथा कर्म से भी किसी भी अवस्था में, किसी भी प्राणी कि हत्या न करना, यह अहिंसा है। जैन धर्म एवं हिन्दू धर्म में अहिंसा का बहुत महत्त्व है। जैन धर्म के मूलमंत्र में ही अहिंसा परमो धर्म:धर्महिंसातथैव च
अपराधियों को दंड देना (इसके दो मार्ग हैँमन पर नियत्रण और अपराधियों अधर्मियो पर नियत्रण के लिये किया गया उपाय ही अहिंसा हैँ जिसे पूर्ण ना समझकर मनुष्य अपराध ही करता हैँ पाप(स्वयं के जीवन के और दुसरो के जीवन के घात ही करता हैँ (अहिंसा परम (सबसे बड़ा) धर्म कहा गया है। आधुनिक काल में महात्मा गांधी ने भारत की आजादी के लिये जो आन्दोलन चलाया वह काफी सीमा तक अहिंसात्मक था।