"दिक्सूचक": अवतरणों में अंतर
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आधुनिक दिक्सूचक पत्रक पर, उत्तर से आरंभ करके, दक्षिणावर्त दिशा में ०रू से लेकर ३६०रू तक के चिन्ह अंकित होते हैं।
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दिक्सूचक द्वारा उत्तरी दिशा ज्ञात करने के पश्चात् यानचालक का उत्तरी दिशा एवं उसके अभीष्ट मार्ग की दिशा के मध्य बननेवाले कोण को ज्ञात करने की आवश्यकता होती है। दिक्सूचक द्वारा ज्ञात की हुई किसी लक्ष्य की दिशा उसका दिक्मान कहलाती है। दिक्मान उसी प्रकार अंशों में प्रदर्शित किया जाता है, जिस प्रकार रेखागणित में कोण।
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