"नैमिषारण्य": अवतरणों में अंतर

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=== परिक्रमा ===
नैमिषारण्य की परिक्रमा ८४ कोस की है। यह परिक्रमा प्रतिवर्ष [[फाल्गुन]]मास की [[अमावस्या]] के बाद की प्रतिपदा को प्रारंभ होकर [[पूर्णिमा]] को पूर्ण होती है । यह परिक्रमा परम्परा के अनुसार पहला आश्रम महन्त (डंका वाले बाबा) की अध्यक्षता में संपन्न होती है वर्तमान मेंब्रह्मलीन 84कोसीयमहंत परिक्रमा1008भरतदासजी अध्यक्षमहाराज एवंके पहलाशिष्य आश्रम84 केकोशीय महंतपरिक्रमा अध्यक्ष 1008 महंत श्री रामचरन दास(भरतदासत्यागी)जी महाराजजी हैं उनके द्वारा डंका बजाये जाने पर रामादल परिक्रमा की शुरुवात होती है नैमिषारण्य की छोटी (अंतर्वेदी) में यहां के सभी तीर्थ आ जाते हैं। यहां के प्रमुख तीर्थों में:
* '''पंचप्रयाग''' - यह पक्का सरोवर है। इसके किनारे अक्षयवट नामक वृक्ष हैं।