"राव जोधा": अवतरणों में अंतर

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वीर साहसी व पराक्रमी राव जोधा ने मारवाड़ राज्य को पुनः विजय करने हेतु निरंतर संघर्ष जरी रखा और अंत में अपने भाईयों के सक्रिए सहयोग से [[मंडोर]],कोसना व चौकड़ी पर विजय ध्वज लहराकर मारवाड़ में पुनः राठौर राज्य वि.सं. 1510 स्थापित कर अपने पैत्रिक राज्य को मेवाड़ से मुक्त कर लिया |इस विजय के बाद राव जोधा व उनके भाईयों ने सोजत,पाली,खैरवा,नाडोल, नारलोई आदि पर हमला कर जीत लिया |
राव जोधा ने अपने भाईयों व पुत्रों के सहयोग से अपने राज्य को [[मंडोर]],[[मेड़ता]],फलोदी,[[पोकरण]],भाद्रजुन,[[सोजत]],[[पाली]],सिवाना,[[साम्भर]],[[अजमेर]],[[नागौर]],[[डीडवाना]] तक बड़ा कर एक विशाल राठौर राज्य स्थापित कर दिया |
इनके वीर पुत्रों में दुदोजी ने मेड़ता,बिकाजी ने [[जांगलदेश|जाग्लुदेश]] (बीकानेर)व बिदाजी ने छापर विजय कर अलग अलग स्व्तांतर राठोड़ राज्यों की स्थापना की |मंडोर को असुरक्षित समझ कर जेस्ठ शुक्ला 11 शनिवार वि.सं. 1515 में राव जोधा ने [[जोधपुर]] के किले [[मेहरानगढ़]]की नीवं दल कर [[जोधपुर]] नगर बसाया | राव जोधा जी ने अपने राज्य का शासन सुव्यवस्थित चलाने हेतु राज्य के अलग अलग भाग अपने भाईयों व पुत्रों को बाँट दिया.वि.सं. 1545 में राव जोधा जी का निधन हुआ |
 
==इन्हें भी देखें==