"नवधा भक्ति": अवतरणों में अंतर

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[[File:Shabari's Hospitality.jpg|thumb|राम और लक्ष्मण के प्रति शबरी के आतिथ्य]]
यद्दिव्यनाम स्मरतां संसारो गोष्पदायते ।
 
सा नव्यभक्तिर्भवति तद्रामपदमाश्रये ।। (कलिसंतरण उपनिषद)
 
जिसके स्मरण से यह संसार गोपद के समान अवस्था को प्राप्त हो जाता है, वह ही नव्य (सदा नूतन रहने वाली) भक्ति है, जो भगवान श्रीराम के पद में आश्रय प्रदान करती है ।।
 
 
 
प्राचीन शास्त्रों में भक्ति के 9 प्रकार बताए गए हैं जिसे '''नवधा भक्ति''' कहते हैं -