"प्यार": अवतरणों में अंतर
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40 के बाद करोगे प्यार, तो जीवन में आएगी बहार। बीमारी भी बाहर हो जाएंगी। amrutam टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
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प्यार करने की सही उम्र क्या है?
क्या 35 या 40 साल के लोगों को प्यारने का हक है।
40 के बाद का प्यार केसा होता है?
चालीस की उम्र में प्यार करना जरूरी है, इसके क्या फायदे हैं?
क्या प्यार प्रेम मोहब्बत जरूरी चीज है।
अमृतम पत्रिका, ग्वालियर के संपादक श्री अशोक गुप्ता की यह प्रस्तुति आनंद प्रदान करेगी
इंसान में इश्क की इच्छा बनी रहे, तो 60 तक खाट नहीं पकड़ता।
प्रेम की ऊर्जा से आदमी का हर पुर्जा चार्ज रह सकता है।
आदमी का मन 70 में भी नहीं मानता। बस उसके औजार-हथियार काम के नहीं रहते।
७० के बाद मन में उमंग रहती है, किंतु लिंग में दम खत्म हो जाती है। 70 में बिस्तर और सिस्टर (नर्स) की जरूरत ज्यादा रहती है। क्यों कि वो बिस्तर को टट्टी पेशाब से तर करने लग जाता है। लेकिन सभी नहीं।
गुप्त रोग विशेषज्ञ कहते हैं कि मर्द को अंत तक सन्त नहीं बनना चाहिए। सेक्स से शरीर चलायमान और निरोग रह सकता है।
चालीस के बाद अधिकांश लोगों का मोटापा बढ़ने लगता है। इसलिए तोंद वाले पुरुष 40 के बाद प्यार न पड़ें अन्यथा पराई स्त्री के सामने नाकारा साबित हो जाओगे।
मन 40 किलो का होता है। इसे मसोसे नहीं बल्कि एक मन का कोई बांट लेकर नीचे से टेबल पर रखें और ऊपर से नीचे 100 बार तक रखने का अभ्यास करें। इससे वजन कम होगा। हेल्थ अच्छी रहेगी। चर्बी गल जाएगी।
चालीस के बाद की आशिकी उर्दू की तरह होती है, लड़कियों को पसंद, तो आती है पर समझ नहीं आती।
40 के बाद ओरतो या लड़कियों से दूर रहना है या नहीं यह आपको सोचना है। वैसे इनसे एनर्जी बहुत मिलती है। ये 500 वाट का ओवन दिमाग पका देता है और जल्दी ही ट्यूबलाइट जल जाती है।
आयुर्वेद की चरक सहिंता के हिसाब से स्वस्थ्य-तन्दरुस्त आदमी 50 तक खल्लास, कमजोर या नामर्द नहीं होता।
40 के बाद आदमी अगर इश्कबाजी में लगा रहे, तो वह ज्यादा ऊर्जावान हो जाता है। चालीस के बाद का इश्क इसमें कुछ भी फिक्स नहीं रहता। दोनों को गर्मी शांत करनी होती है या फिर प्यास बुझाने का साधन है। इस उम्र में सेक्स का आनंद ही अलग होता है।
चालीस के बाद वीर्य कुछ पतला जरूर होने लगता है और शरीर चलाने वाली शक्तिशाली खाद यानि वीर्य या शुक्र की कमी होने लगती हैं। लेकिन रतिक्रिया की समयावधि बढ़ जाती है।
समस्या जो सदैव सामने खड़ी है
40 के बाद आशिकी की तरफ रुझान से कभी जान-जोखिम में बढ़ सकती है।
असल में लड़कों को wifi चाहिए और अधेड़ों को wife eye जरूरी है अन्यथा ये कभी भी खेल चमका सकते हैं।
शरीर की नाड़ी-कोशिकाओं में ढ़ीलापन आने लगता है। चेहरे पर झुर्रियों का आगमन होने लगता है।
कोई आयुर्वेदिक इलाज हो, तो बताना।
एक आदमी को प्यार हुआ है, 40 के दौर में।
आपका लिंग यदि किंग बनने को तैयार है, तो आप किसी भी उम्र में लड़की को रिंग पहना सकते हैं।
कहते हैं कि लिंग में जंग लगते ही जवानी में भी कोई संग नहीं रहना चाहता।
जरूरी नहीं कि लड़कियों के साथ बदनीयती से रहें। एक अच्छा दोस्त भी उन्हें बना सकते हैं।
जीवन का कोई भरोसा नहीं कि लड़की और कड़की कब आ जाये।
जिंदगी में मस्त रहो, स्वस्थ्य रहो, बस इतना सा फ़लसफ़ा है। लड़कियों से दूर या पास रहना आपकी मर्जी है।
यदि 40 के बाद, शरीर में खाद अर्थात वीर्य की कमी हो जाए, तो आयुर्वेदिक दवाएं लिंग को अंदर से कोर बनाने में मदद करती हैं।
याद रहे लिंग में कमजोरी शिथिलता वीर्य की कमी से ही आती है। अगर तन में पर्याप्त गाढ़ा वीर्य नहीं है, तो निश्चित मानो कि वीरता समाप्त हो गई।
अतः वीर्य वृद्धिदायक देशी दवाओं का 3 से 6 महीने या जीवन भर सेवन करते रहें।
आयुर्वेद का एक बेहतरीन योग, जो अश्वगंधा, शतावरी, कोंच बीज, सफेद मूसली, शिलाजीत, स्वर्ण भस्म, मधुयाष्टी, बंग भस्म, स्वर्ण माक्षिक भस्म से निर्मित बी फेराल गोल्ड माल्ट और B FERAL GOLD Capeule सुबह शाम दूध के साथ लेवें। इससे मर्दाना ताकत में भयंकर बढ़ोत्तरी होगी।
लिंग की शिथिलता, ढीलापन दूर होगा। नामर्दी जड़ से खत्म हो जाएगी।
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