"सडाको ससाकी": अवतरणों में अंतर

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सन् 1945 में [[जापान]] के [[हिरोशिमा]] पर अमरीका एक [[परमाणु बम|एटम बम]] गिराया। इसकी वजह से '''सडाको ससाकि''' (जापानी: 佐々木 禎子) [[रक्त का कैंसर|ल्यूकेमिया]] का शिकार हो गई<ref>{{Cite web |url=http://www.pcf.city.hiroshima.jp/virtual/VirtualMuseum_e/exhibit_e/exh0107_e/exh01071_e.html |title=Sadako's 4,675 Days of Life |access-date=10 सितंबर 2012 |archive-date=10 सितंबर 2012 |archive-url=https://archive.today/20120910163533/http://www.pcf.city.hiroshima.jp/virtual/VirtualMuseum_e/exhibit_e/exh0107_e/exh01071_e.html |url-status=live }}</ref>। उसने काग़ज़ के हज़ार [[सारस (पक्षी)|सारस]] बनाने की कोशिश की क्योंकि जापान में कहते हैं कि अगर आप हज़ार सारस बनाये, आपकी एक ख़्वाहिश सच होगी। उसके पास बहुत काग़ज़ नहीं था, तो जो मिल सकी उस काग़ज़ का इस्तेमाल किया। उसकी दोस्त चिज़ूको हामामोतो भी उसको काग़ज़ लाया। सडाको ने हज़ार सारस बनाये मगर बेहतर नहीं हुई और मरी। वह बस बारह साल की थी।
 
एलानॉर कॉर ने सडाको के बारे में एक किताब "सडाको और हज़ार काग़ज़ के सारस" लिखी। इस किताब में सडाको ने बस ६४४ सारस बनाये, फिर मरी। उसके दोस्त दूसरे ३५६ सारस बनाये और उसके साथ सारे हज़ार सारस रखे।