"नंद वंश": अवतरणों में अंतर

→‎सारांश: कड़ियाँ लगाई
टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल एप सम्पादन Android app edit
शब्द
टैग: यथादृश्य संपादिका मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
पंक्ति 125:
३४४ ई. पू. में '''सम्राट महापद्यनन्द''' ने नन्द वंश की स्थापना की। सम्राट महापदम नंद को भारत का '''प्रथम ऐतिहासिक चक्रवर्ती सम्राट''' होने का गौरव प्राप्त है। सम्राट महापदम नंद को '''केंद्रीय शासन पद्धति का जनक''' भी कहा जाता है । पुराणों में इन्हें '''महापद्म''' तथा महाबोधिवंश में '''उग्रसेन''' कहा गया है। यह नाई जाति से थे।
 
सम्राट महापद्म को '''एकराट''', '''सर्व क्षत्रान्तक''', '''एक छत्र पृथ्वी का राजा''','''भार्गव''' आदि उपाधियों से विभूषित किया गया है। महापद्म नन्द के प्रमुख राज्य उत्तराधिकारी हुए हैं- उग्रसेन, पंडूक, पाण्डुगति, भूतपाल, राष्ट्रपाल, योविषाणक, दशसिद्धक, कैवर्त, धनानन्द। सम्राट घनानंद के शासन काल में भारत पर सिकन्दर आक्रमण सिकंदर द्वारा किया गया। लेकिन मगध के सम्राट धनानंद की विशाल सेना के आगे सिकंदर नतमस्तक हो गया और लौट जाने में ही अपनी भलाई समझी।
 
* सम्राट महापद्मनन्द पहले शासक थे जिन्होंने गंगा घाटी की सीमाओं का अतिक्रमण कर विन्ध्य पर्वत के दक्षिण तक विजय पताका लहराई थी.<ref>{{Cite book|title=Nandvansh|last=Sharma|first=Prince Sharma|date=|website=Nandvansh| language = hi|archive-url=|archive-date=|dead-url=|access-date=}}</ref>