"विश्वकर्मा": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
टैग: Reverted मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन |
संजीव कुमार (वार्ता | योगदान) छो -- टैग: किए हुए कार्य को पूर्ववत करना |
||
पंक्ति 1:
{{infobox deity |name = विश्वकर्मा|image=Vishwakarmaji.png|caption=भगवान विश्वकर्मा अपने सिंहासन पर विराजमान और
[[हिन्दू धर्म]] में '''विश्वकर्मा''' को निर्माण एवं सृजन का [[देवता]] माना जाता है। मान्यता है कि सोने की [[श्रीलंका|लंका]] का निर्माण उन्होंने ही किया था। इनकी ऋद्धि सिद्धि और संज्ञा नाम की तीन पुत्रियाँ थी जिनमें से ऋद्धि सिद्धि का विवाह भगवान [[शिव|चंद्रशेखर]] और माता [[पार्वती]] के सबसे छोटे पुत्र भगवान [[गणेश]] से हुआ था तथा संज्ञा का विवाह महर्षि [[कश्यप]] और देवी [[अदिति]] के पुत्र भगवान [[सूर्य नारायण|सूर्यनारायण]] से हुआ था [[यमराज]] , [[यमुना]] , कालिंदी और अश्वनीकुमार इनकी ही संताने हैं।
== वेदों में उल्लेख==
[[ऋग्वेद]] मे विश्वकर्मा सुक्त के नाम से 11 ऋचाऐ लिखी हुई है। जिनके प्रत्येक मन्त्र पर लिखा है ऋषि विश्वकर्मा भौवन देवता आदि। यही सुक्त यजुर्वेद अध्याय 17, सुक्त मन्त्र 16 से 31 तक 16 मन्त्रो मे आया है ऋग्वेद मे विश्वकर्मा शब्द का एक बार इन्द्र व सुर्य का विशेषण बनकर भी प्रयुक्त हुआ है। परवर्ती वेदों मे भी विशेषण रूप मे इसके प्रयोग अज्ञत नही है यह प्रजापति का भी विशेषण बन कर आया है। पूर्ण परमात्मा ने इस संसार को बनाया है उन्होंने माँ के गर्भ में भी हमारा पालन-पोषण किया। क्या उस परमात्मा की जगह हम अन्य देवी – देवताओं को विश्व रचयिता कह सकते है, बिल्कुल नहींं। केवल पूर्ण परमात्मा
: '''प्रजापति विश्वकर्मा विसुचित।'''
पंक्ति 39:
==आश्चर्यजनक वास्तुकार==
चार [[युग|युगों]] में
== विश्वकर्मा जयंती ==
|