"स्वामी करपात्री": अवतरणों में अंतर

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=== करपात्री महाराज का स्त्रियों के बारे में विचार ===
 
आगे करपात्रीजी कहते हैं, कि स्त्रियों को बिना अपने किसी घर के संबंधी के बाहर आने जाने नहीं देना चाहिए, जैसा कि सऊदी अरब में होता है। बाहर के व्यक्तियों से स्त्रियों का बोलना सर्वथा असंभव है। यानी वो किसी से बात नहीं कर सकती है। ऐसी अवस्था में यदि अपने ही घर के संबंधियों के साथ व्यभिचार  कर लें, वो  ठीक  है। लेकिन बाहर वालो के साथ दूसरी जाति में करना गलत है।
 
स्त्रियों में मासिक धर्म शुरू होने के बाद उसके मन में विकार उत्पन्न हो जाते हैं।वो किसी दूसरे पुरुष के साथ गलत कार्य कर सकती है। उसके अंदर लस्ट बढ़ जाता है| इसीलिए स्त्रियों का विवाह रजस्वला से पूर्व अर्थात 10 से 11  वर्ष की अवस्था में कर देनी चाहिए।book- ([[iarchive:MarxvadAurRamarajyaKarpatriji/page/n1/mode/2up|Marksavada aur Ramarajya]], p222,223)