"स्वामी करपात्री": अवतरणों में अंतर

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इसी सन्दर्भ में, जब [[काशी]] के विद्वत्परिषद् ने [[भगवत पुराण|भागवत्पुराण]] के नवम् दशम् स्कन्ध को अश्लील एवं क्षेपक कहकर निकालने का निर्णय कर लिया तब करपात्री जी ने पूरे दो माह पर्यन्त भागवत की अद्भुत व्याख्या प्रस्तुत कर सिद्ध कर दिया कि वह तो भागवत की आत्मा ही है, हाँ जब कुछ वैष्णवों ने करपात्री जी के लिए अपने ग्रंथों में कटु शब्दों का प्रयोग किये तब उनके शास्त्रार्थ महारथी शिष्यों ने उसका उसी भाषा में उत्तर दिया। इससे उन्हें वैष्णव विरोधी समझने की भूल कभी नहीं करनी चाहिए।
 
== करपात्र ==
== करपात्री और शुद्र(पूर्णतः गलत जानकारी है जिसे एक चादरमोद आर्य समाजी ने लिखा है) ==
 
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* मनू कर्मानुसार वर्ण व्यवस्था के विरोधी हैं। इसलिए शूद्रों का अधिकार धर्म विवेचन में नहीं होना चाहिए।(BOOK- [[iarchive:VicharaPiyushSwamiKarapatrijiMaharaj_201802|vichar piyush]] p150)
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* ओम, होम, शालिग्राम की पूजा तथा गाय का दूध पीने से शूद्र चांडाल बन जाता है। (BOOK- vichar piyush, p194)
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* शूद्र को उपनयन और वेदाध्ययन का अधिकार नहीं है (BOOK- vichar piyush, p195)
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* शूद्र का वेदों में अधिकार नहीं है।(BOOK- vichar piyush, p197)
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* वैदिक संध्या में शूद्र का अधिकार नहीं है, वर्ण जन्म से होता है वर्ण परिवर्तन संभव नहीं है।(BOOK- vichar piyush p235)
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* जिस प्रकार पैर मुख नहीं बन सकता, उसी प्रकार शूद्र ब्राह्मण नहीं बन सकता।(BOOK- vichar piyush, p325)
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* शूद्र का केवल विवाह संस्कार ही किया जा सकता है, अन्य नहीं।(BOOK- vichar piyush, p370)
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* शुद्र का मुख्य काम द्विज की सेवा करना है| (BOOK- vichar piyush, p371)
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* ब्राहमण और शुद्र कन्या से उत्पन्न बच्चा चंडाल होता है| (BOOK- vichar piyush)
* का, कोई अपमान नहीं।(BOOK- vic
* यहाँ पर करपात्री कह रहे हैं कि ब्राह्मण शूद्र को प्रणाम नहीं कर सकता। केवल शूद्र को ही ब्राह्मणों को प्रणाम करना चाहिए। तुलना कर रहे पिता पुत्र से कि पुत्र ही पिता को प्रणाम करता है। पिता पुत्र को प्रणाम नहीं करता। अर्थात यहाँ पर जो ब्राह्मण हैं वो पिता होता है और शूद्र पुत्र हो जाता है, आगे कहते हैं कि ब्राह्मण शूद्रों को अपमान पूर्वक बुला सकता है। इसमें शूद्रों का, कोई अपमान नहीं।(BOOK- vichar piyush, p416)
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* ब्राह्मण अपने से नीचे वर्ण में विवाह कर सकता है, लेकिन शुद्र अपने से ऊंचे वर्ण में विवाह नहीं कर सकता। p607
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* मुसलमान या ईसाई हिंदू बन ही नहीं सकता है। क्योंकि जातिया तो जन्म से ही होती है। हाँ, ये हो सकता है कि उनके लिए हिंदुओं में एक अलग जाति का निर्माण कर दिया जाए "शोधित हिंदू" के नाम से जिसमे उनलोगों को रखा जाएगा। लेकिन वो लोग ब्राह्मण, क्षत्रिय, वैश्य, शूद्र में नहीं आ सकते। क्योंकि ये जातियां जन्म से होती है। book- (vichar piyush p403)
 
== इन्हें भी देखें==