"पतञ्जलि योगसूत्र": अवतरणों में अंतर
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'''[[योगवार्तिक]]''' : योगसूत्र पर महत्वपूर्ण व्याख्या [[विज्ञानभिक्षु]] की प्राप्त होती है जिसका नाम ‘योगवार्तिक’ है। विज्ञानभिक्षु का समय विद्वानों के द्वारा 16वीं शताब्दी के मध्य में माना जाता है।
'''[[भोजवृत्ति]]''' : 'धारेश्वर भोज' के नाम से प्रसिद्ध व्यक्ति ने योगसूत्र पर जो 'भोजवृत्ति' नामक ग्रंथ लिखा है वह योगविद्वजनों के बीच समादरणीय एवं प्रसिद्ध माना जाता है। [[राजा भोज|भोज]] के राज्य का समय 1075-1110 [[विक्रम संवत]] माना जाता है। कुछ इतिहासकार इसे 16वीं सदी का ग्रंथ मानते हैं।
'''योगमणिप्रभा''' : रमानन्द सरस्वती (१६वीं शताब्दी)
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उस विवेक ख्याति की सात भुमिकिएं हैं ॥२७॥
[[अष्टांग योग]] के अनुष्ठान से अशुद्धि का क्षय तथा विवेक ख्याति पर्यन्त प्रकाश होता है ॥२८॥
यम, नियम, आसन, प्राणायाम, प्रत्याहार, धारणा, ध्यान एवं समाधि, यह योके आठ अंग हैं ॥२९॥
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== बाहरी कड़ियाँ ==
* [https://sa.wikisource.org/wiki/योगसूत्राणि_(भाष्यसहितम्) योगसूत्राणि (भाष्यसहितम्)] ([[संस्कृत भाषा|संस्कृत]] विकिस्रोत)
* [https://web.archive.org/web/20150412122608/http://www.arlingtoncenter.org/Sanskrit-English.pdf योगसूत्र] (संस्कृत सूत्र तथा अंग्रेजी व्याख्या)
* [https://sa.wikisource.org/wiki/चतुरध्यायात्मक-पातञ्जल-योग-सूत्रम् चतुरध्यायात्मक-पातञ्जल-योग-सूत्रम्] (संस्कृत विकिस्रोत)
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