"नारद मुनि": अवतरणों में अंतर
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'''नारद मुनि''', ([[तमिल]]}:''தேவர்ஷி நாரத'') [[शास्त्र|हिन्दु शास्त्रों]] के अनुसार, [[ब्रह्मा]] के छः पुत्रों में से छठे है।<ref>{{Cite web|url=https://www.jagran.com/spiritual/sant-saadhak-narad-jayanti-2019-interesting-facts-about-devarshi-narad-19224059.html|title=नारद जयंती 2019: ऐसे हुआ था विष्णु भक्त देवर्षि नारद का जन्म, जानें क्या है उनके नाम का अर्थ|website=Dainik Jagran|language=hi|access-date=2020-12-25}}</ref> उन्होने कठिन तपस्या से ब्रह्मर्षि पद प्राप्त किया । वे भगवान [[विष्णु]] के अनन्य भक्तों में से एक माने जाते है। साथ ही वे भगवान [[विष्णु]] के अवतार हैं |
देवर्षि नारद धर्म के प्रचार तथा लोक-कल्याण हेतु सदैव प्रयत्नशील रहते हैं। शास्त्रों में इन्हें [[भगवान
वायुपुराण में देवर्षि के पद और लक्षण का वर्णन है- देवलोक में प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाले ऋषिगण देवर्षि नाम से जाने जाते हैं। भूत, वर्तमान एवं भविष्य-तीनों कालों के ज्ञाता, सत्यभाषी, स्वयं का साक्षात्कार करके स्वयं में सम्बद्ध, कठोर तपस्या से लोकविख्यात, गर्भावस्था में ही अज्ञान रूपी अंधकार के नष्ट हो जाने से जिनमें ज्ञान का प्रकाश हो चुका है, ऐसे मंत्रवेत्ता तथा अपने ऐश्वर्य (सिद्धियों) के बल से सब लोकों में सर्वत्र पहुँचने में सक्षम, मंत्रणा हेतु मनीषियों से घिरे हुए देवता, द्विज और नृपदेवर्षि कहे जाते हैं।
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