"गजनी (2008 फ़िल्म)": अवतरणों में अंतर
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फिल्म की कहानी फिर वर्तमान में लौट जाती है; जब यादव 2006 की डायरी पढने लगता है। संजय अचानक आ जाता है, यादव पर हमला कर देता है और उसे बांध देता है। वह ग़जनी को एक कॉलेज के समारोह में खोज निकालता है जहां वह सम्माननीय प्रधान अतिथि है। संजय ग़जनी के कुछ छायाचित्र लेता है और उसे जान से मार डालने का फैसला करता है (यद्यपि वह यह नहीं जानता कि आखिर क्यों). उसी समारोह में उसकी मुलाक़ात सुनीता से हो जाती है; वह भी उसके फाइल पर लगे कवर से उसे पहचान लेती है और उससे दोस्ती करने का इरादा करती है। बाद में उसी शाम संजय ग़जनी के एक गुंडे को पार्किंग क्षेत्र में मार गिराता है। वह ग़जनी के आने का इंतजार करने लगता है लेकिन अंत में उसपर फिर कभी किसी और मौके पर आखिरी हमला करने का फैसला करता है। मरता हुआ घायल गुंडा ग़जनी को दो साल पहले घटी एक घटना की याद दिलाता है जिसमे कल्पना की हत्या कर दी गई थी और संजय आहत होकर एक मरीज़ बन गया था। ग़जनी असमंजस में पड़ जाता है और कुछ भी याद कर पाने में नाकाम हो जाता है।
इस बीच, सुनीता संजय के फ्लैट में आती है और यादव को पीटकर बंधा हुआ पड़ा पाती है। उसे इस बात का पता भी लग जाता है कि ग़जनी ही संजय का निशाना है। यादव उसे इस बात की भी जानकारी देता है कि संजय एक जानामाना सीरियल हत्यारा है। सुनीता के हाथों दो डायरियां लग जातीं हैं और वह यादव को आजाद कर देती है। अचानक इसी बीच संजय वहां पहुँच जाता है; उसे उनमे से किसी की याद नहीं आती है और वह उनका पीछा करता हुआ बाहर निकल जाता है। अंततोगत्वा यादव एक बस से टकरा जाता है और सुनीता बड़ी मुश्किल से सनकी संजय से बच निकलती है। यह
इस बीच, छात्रावास में लौटकर सुनीता 2006 की डायरी पढ़ती है। फिल्म की कहानी फिर 2006 के पूर्व दृश्य में लौट जाती है। ऐसा दिखाया जाता है कि कल्पना ने संजय के विवाह प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया था। यह डायरी भी अचानक समाप्त हो जाती है। सुनीता और आगे छानबीन कर पता लगाती है और यह खोज निकालती है कि 2006 में किसी पड़ाव पर कल्पना अनजाने में अनचाहे ही वेश्यावृति करवाने वालों के बुरे जाल में उलझ गई थी। रेलयात्रा के दौरान उसकी भेंट 25 निरीह भोली भाली कमसिन लड़कियों से हुई जो धंधे के लिए मुंबई भेजी जा रहीं थीं। वह उन लड़कियों की रक्षा कर उनका उद्धार करती है। लेकिन लड़कियां गिरोह के सरगना के रूप में ग़जनी का नाम लेतीं हैं। ग़जनी अपने तरीके से अपने माध्यमों (भ्रष्ट पुलिस और नेताओं) का प्रयोग लड़कियों की जुबान बंद करने के लिए करता है और कल्पना को खुद खोज निकलने के लिए निकल पड़ता है। ग़जनी और उसके गुंडे तोड़-फोड़ करते हुए कल्पना के अपार्टमेन्ट में घुस जाते हैं और उसके लौट आने की प्रतीक्षा करते है जबकि कल्पना अन्दर ही मिल जाती है। संयोगवश, संजय वहां कल्पना से मिलने पहुंच गया। कल्पना का अंतिम उच्चारित शब्द था "ग़जनी ". गुंडों ने कल्पना पर हमला कर दिया। संजय हस्तक्षेप करने ही वाला था कि अचानक ग़जनी ने लोहे की छड़ से उसके सिर पर आघात कर दिया। संजय की आँखों के सामने अंतिम दृश्य कौंध जाता है, कि ग़जनी के लोहे की छड़ के क्रूर प्रहार से ही कल्पना की हत्या हुई थी।
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