"पुलिस अनुसंधान एवं विकास ब्यूरो": अवतरणों में अंतर

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==प्रभाग==
;अनुसंधान प्रभाग
अनुसंधान प्रभाग देश की पुलिस सेवाओं की आवश्यकताओं और समस्याओं का पता लगाकर विभिन्न शैक्षिक व पेशेवर संस्थाओं के सहयोग से इस क्षेत्र में अनुसंधान करता है । साथ ही साथ वह इस अनुसंधान के लिए प्रोत्साहन और मार्गदर्शन भी प्रदान करता है । इसके अतिरिक्त वह देश के पुलिस बलों से संबंधित विभिन्न विषयों पर संगोष्ठियां परिसंवाद कार्यशालाएं व सम्मेलन आयोजित करता है ताकि तत्संबंध में राष्ट्रीय सर्वसम्मति कायम की जा सके और व्यावहारिक समाधान निकाला जा सके।केन्द्रीय गृह सचिव की अध्यक्षता में गठित एक स्थायी समिति को अनुसंधान के लिए उपयुक्त विषय चुनने व ये विषय व्यक्तियों या संस्थाओं के लिए निर्दिष्ट करने के कार्य में इस ब्यूरो को मार्गदर्शन प्रदान करने प्रौद्योगिकी विकास के संबंध में सिफारिश करने और पुलिस कार्य के बारे में प्रभावी योजनाएं व नीतियां निर्धारित करने का दायित्व सौंपा गया है।
यह प्रभाग देश में पुलिस सेवाओं की आवश्यकताओं और समस्याओं का पता लगाकर इस विषय में अनुसंधान करता है।
 
समाज के विभिन्न वर्गों से प्राप्त अनुसंधान अध्ययन प्रस्तावों पर विचार किया जाता है और सुझाव सहमति प्राप्त करने के लिए ये प्रस्ताव स्थायी समिति के सदस्यों को प्रस्तुत किए जाते हैं । स्थायी समिति के सदस्यों की सहमति प्राप्त करने के बाद प्रायोजकता के लिए चयनित अनुसंधान विषयों के बारे में मानकों के अनुसार तीन समान किस्तों में धनराशि (बजट) आबंटित की जाती है । किए जा रहे अनुसंधान अध्ययनों के पर्यवेक्षण का दायित्व अनुसंधान प्रभाग के अनुभागों का है जो अध्ययन के विषय निर्दिष्ट करते हैं।
;विकास प्रभाग
इस प्रभाग में भारत और अन्य देशों में पुलिस कार्य के लिए प्रयुक्त की जा रही विज्ञान और प्रौद्योगिकी की तकनीकों के क्षेत्र में हो रहे विकास संबंधी जानकारी रखी जाती है । इसके अतिरिक्त यह नई कार्य पध्दतियों का भी अध्ययन करता है ताकि उपयुक्त उपकरण व तकनीकें अपनाई जा सकें । यह निरंतर ही नई प्रौद्योगिकी व वैज्ञानिक उत्पाद की जानकारी प्राप्त करने के लिए प्रयासरत है और उन्हें देश में अपनाए जाने की उपयुक्तता पर विचार करता है । यह बॉडी आर्मर, बुलेटप्रूफ वाहनों, शस्त्रों, मोटर वाहनों, इत्यादि जैसे उपकरणों साधनों के प्रयोग के बारे में भी मानक तय करता है । जब से राज्यों ने अपने शस्त्रों उपकरणों को उन्नत करने की योजना बनाई है । इस प्रभाग की प्रासंगिकता पहले की तुलना में काफी अधिक बढ ग़ई है।