"मानव शरीर": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 1:
कृष्ण- -मिलनकी विरहजन्य पीडा से अधीर होकर मीरा के मानसिक रोग का चिकित्सक भी तो साँवरिया ही था 'मीरा की मन पीर मिटे जब वैद संवरिया होय।
सूर की इस चेतावनी की अनदेखी कहीं सिर धुननेको विवश न कर दे?
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कृष्ण त्वदीयपदपंकजपञ्जरान्ते अद्यैव मे विशतु मानसराजहंसः । प्राणप्रयाणसमये कफवातपित्तैः कण्ठावरोधनविधौ स्मरणं कुतस्ते॥(प्रपन्नगीता ५३)
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