"बौद्ध धर्म का इतिहास": अवतरणों में अंतर

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( बौद्ध धम्म का इतिहास )
बौद्ध धम्म यह प्राचीनतम धम्म है। बौद्ध धम्म का इतिहास दो भागों में देखा , समझा जा सकता है।
१)पूर्व बौद्ध धम्म और
२)गौतम बुद्ध धम्म ।
१)पूर्व बौद्ध धम्म : इस इतिहास को समझने के लिए हमे पूर्व बुद्ध के जो २१ बुद्ध हुए उनके बारे में जानना होगा। आज हमे पूर्व २१ बुद्ध के नाम प्राप्त हुए है , वो शिलालेखो में लिखित प्राप्त हुए है। इन पूर्व बुद्ध का इतिहास का पुरातात्विक साक्ष्य , सबूत हमे मोहनजोदरो , तथा हड़प्पा की विरासतों , संस्कृतियों में देखने को मिलता है। वहा हमे बुद्ध स्तूप , चैत्य , विहार , लिखावट आदि की भग्नावशेष मिलते है। उस समय की भाषा को आज भी हम पढ़ नहीं पाए है। यह कालखंड करीब ५००० ई. पू. (५ हजार ) तक का है। इस लिपि को पढ़ने के बाद यह पूरी तरह से साबित हो जायेगा। आज भिन्न मत है , लेकिन इसका एक बहोत बड़ा सबूत तो यही है कि जब तक पाली भाषा को पढ़ा नहीं गया था तबतक संस्कृत को ही प्राचीन भाषा समझा जाता था। लेकिन जब अंग्रेजों ने पाली भाषा को पढ़ा तब मालूम हुआ कि संस्कृत से पहले की भाषा यह पाली भाषा है और इस देश में बुद्ध हुए है। संस्कृत भाषा का उदय , विकास यह लगभग आज से १००० ( एक हजार ) साल पहले ही देवनागरी लिपि में हुआ है।
गौतम बुद्ध के समय पाली भाषा ही सामान्य बोली भाषा थी। इसीलिए गौतम बुद्ध के बाद की लिखित अवशेष यह पाली भाषा में ही लिखे मिलते है। पाली भाषा में महान , महापुरुष , विद्वान को भगवान बोला जाता है। पूर्व बौद्ध की लिपि या भाषा को अभी भी पढ़ा नहीं गया है।
२) गौतम बुद्ध :
 
 
 
 
[[चित्र:Asoka Kaart.png|अंगूठाकार|[[अशोक|सम्राट अशोक]] (260–218 ई.पू.) के शिलालेखों के अनुसार उनके समय में ही बौद्ध धर्म का प्रसार दूर-दूर तक हो चुका था।]]
*सील-समाधि-पञ्ञा का मार्ग अर्थात moral-concetration-wisdom को प्राप्ति का मार्ग ,जिसके ३७ बोधिपक्खिय-धम्म विस्तारपूर्वक तथागत-बुद्ध ने बताये हैं जो सुत्त-पिटक,विनय-पिटक एवं अभिधम्म-पिटक के नामकरण से प्रथम संगीति में संकलित किये गए जो अजातसत्तु के समय हुई जिसमें ५००अरहत भिक्खुओं ने भाग लिया था ।[[सत्य]] और [[अहिंसा]] के मार्ग को दिखाने वाले [[गौतम बुद्ध|भगवान बुद्ध]] दिव्य आध्यात्मिक विभूतियों में अग्रणी माने जाते हैं। भगवान बुद्ध के बताए आठ सिद्धांत को मानने वाले भारत समेत दुनिया भर में करोड़ो लोग हैं।