"गोवर्धन पूजा": अवतरणों में अंतर

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{{स्रोतहीन|date=सितंबर 2014}}
[[File:Govardhan -1.JPG|thumb|गोवर्धन पूजा की झलक]]
 
{{ज्ञानसन्दूक त्योहार
|त्योहार_के_नाम = गोवर्धन पूजा
|अनुयायी = [[हिन्दू]]
|चित्र = Annakut.jpg
|शीर्षक = गोवर्धन पूजा पर भगवान कृष्ण को अन्नकूट का भोग
|अन्य नाम = अन्नकूट पर्व
|उद्देश्य = धार्मिक निष्ठा, उत्सव
|आरम्भ =
|अंत =
|दीर्घ-प्रकार = हिन्दू, सांस्कृतिक
|तिथि = [[कार्तिक]] माह की [[शुक्ल पक्ष]] [[प्रतिपदा]]
|अनुष्ठान =
|उत्सव =[[दिया]] गोवर्धन पूजा, श्रीकृष्ण पूजा, गौ पूजा, अन्नकूट का छप्पन भोग, सामूहिक भोज और मिठाइयाँ
|समान पर्व=
}}
 
 
दीपावली के अगले दिन गोवर्धन पूजा की जाती है। लोग इसे अन्नकूट के नाम से भी जानते हैं। इस त्यौहार का भारतीय लोकजीवन में बहुत महत्व है। इस पर्व में प्रकृति के साथ मानव का सीधा सम्बन्ध दिखाई देता है। इस पर्व की अपनी मान्यता और लोककथा है। गोवर्धन पूजा में गोधन अर्थात गायों की पूजा की जाती है। शास्त्रों में बताया गया है कि गाय उसी प्रकार पवित्र होती है जैसे नदियों में गङ्गा। गाय को देवी लक्ष्मी का स्वरूप भी कहा गया है। देवी लक्ष्मी जिस प्रकार सुख समृद्धि प्रदान करती हैं उसी प्रकार गौ माता भी अपने दूध से स्वास्थ्य रूपी धन प्रदान करती हैं। इनका बछड़ा खेतों में अनाज उगाता है। ऐसे गौ सम्पूर्ण मानव जाति के लिए पूजनीय और आदरणीय है। गौ के प्रति श्रद्धा प्रकट करने के लिए ही कार्तिक शुक्ल पक्ष प्रतिपदा के दिन गोर्वधन की पूजा की जाती है और इसके प्रतीक के रूप में गाय की।
[[File:Govardhan -1.JPG|thumb|गोवर्धन पूजा की झलक]]
 
जब कृष्ण ने ब्रजवासियों को मूसलधार वर्षा से बचाने के लिए सात दिन तक गोवर्धन पर्वत को अपनी सबसे छोटी उँगली पर उठाकर रखा और गोप-गोपिकाएँ उसकी छाया में सुखपूर्वक रहे। सातवें दिन भगवान ने गोवर्धन को नीचे रखा और प्रतिवर्ष गोवर्धन पूजा करके अन्नकूट उत्सव मनाने की आज्ञा दी। तभी से यह उत्सव अन्नकूट के नाम से मनाया जाने लगा।<ref>{{Cite web|url=https://www.livehindustan.com/astrology/story-govardhan-puja-katha-2019-know-gowardhan-pooja-2019-date-time-shubh-muhurat-puja-vidhi-2820104.html|title=Govardhan Puja Katha 2019: पढें गोवर्धन पूजा कथा, श्रीकृष्ण ने रची थी लीला|website=Hindustan|language=hindi|access-date=2020-11-14}}</ref>