"थेरगाथा": अवतरणों में अंतर
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चित्तक थेर मोर की आवाज से उठकर गाते हैं : "नील ग्रीवा और शिखावाले मोर करवीय वन में गाते हैं। शीतल वायु से प्रफुल्लित हो मधुर गीत गानेवाले वे सोये हुए योगी को जगाते हैं।"
==इन्हें भी देखे==
*[[थेरवाद]]
==बाहरी कड़ियाँ==
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