"संवत": अवतरणों में अंतर
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'''संवत्''', [[समय]]गणना का [[भारत|भारतीय]] मापदंड। भारतीय समाज में अनेक प्रचलित संवत् हैं। मुख्य रूप से चार संवत् चल रहे हैं, सबसे प्राचीन और प्रथम [[वीर निर्वाण संवत|'''वीर निर्वाण संवत''']]
[[वीर निर्वाण संवत|'''वीर निर्वाण संवत''']] भगवान वर्धमान महावीरस्वामीजी के निर्वाण के वर्ष के रूप में ५२७ ईसा पूर्व का उल्लेख करने वाला सबसे पहला पाठ यति-वृषभ का तिलोय-पन्नति (६वीं शताब्दी ईस्वी) है। [2] इसके बाद के कार्य जैसे कि जिनेसा के हरिवामसा (७८३ CE) में वीर निर्वाण युग का उल्लेख है, और इसके और शाका युग के बीच के अंतर को ६०३ साल, ५ महीने और १० दिन के रूप में बताया।[3]
'''विक्रम संवत्''' ई. पू. 57 वर्ष प्रारंभ हुआ। यह संवत् [[मालवा|मालव]]गण के सामूहिक प्रयत्नों द्वारा गंधर्वसेन के पुत्र विक्रमादित्य के नेतृत्व में उस समय विदेशी माने जानेवाले [[शक]] लोगों की पराजय के स्मारक रूप में प्रचलित हुआ। जान पड़ता है, भारतीय जनता के देशप्रेम और विदेशियों के प्रति उनकी भावना सदा जागृत रखने के लिए जनता ने सदा से इसका प्रयोग किया है क्योंकि भारतीय सम्राटों ने अपने ही संवत् का प्रयोग किया है। इतना निश्चित है कि यह संवत् मालवगण द्वारा जनता की भावना के अनुरूप प्रचलित हुआ और तभी से जनता द्वारा ग्राह्य एवं प्रयुक्त है। इस संवत् के प्रारंभिक काल में यह कृतसंवत्, तदनंतर मालवसंवत् और अंत में 'विक्रम संवत्' रह गया। यही अंतिम नाम इस संवत् के साथ जुड़ा हुआ है। '''शक संवत्''' के विषय में बुदुआ का मत है कि इसे [[उज्जैन|उज्जयिनी]] के क्षत्रप चेष्टन ने प्रचलित किया। शक राज्यों को उज्जैैयनी के राजा विक्रमादित्य ने समाप्त कर दिया पर उनका स्मारक शक संवत् अभी तक भारतवर्ष में चल रहा है। शक संवत् 78 ई. में प्रारंभ हुआ। विक्रमादित्य परमार वंश के प्रतापी राजा हुुए उनके पिता गंधर्वसेन थे और उनके बडै भाई भृतहरि भी महान योगी हुए आज भी उज्जैन मेे उनकी योग गुफा स्थित है Written by Aryan Patel 6159▼
२१ अक्टूबर १९७४ को पूरे भारत में जैनियों द्वारा २५०० वां निर्वाण महोत्सव मनाया गया।[4] और विदेश में भी मनाया गया।
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== विक्रम संवत् ==
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