"राजनीतिक दर्शन": अवतरणों में अंतर
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'''राजनीतिक दर्शनशास्त्र''' ( ''[[अंग्रेजी]]''- Political philosophy) या '''राजनीतिक सिद्धांत''' ,[[सरकार]] का दार्शनिक अध्ययन है ,जो [[सार्वजनिक संस्थान|सार्वजनिक]](सरकारी) [[अभिकर्ता|कर्तुओं]] और संस्थानों की प्रकृति, दायरे और वैधता तथा उनके बीच संबंधों के बारे में प्रश्नों को संबोधित करता है।
'''राजनीतिक दर्शन''' (Political philosophy) के अन्तर्गत [[राजनीति]], [[स्वतन्त्रता|स्वतंत्रता]], [[न्याय]], [[सम्पत्ति]], [[अधिकार]], [[विधि|कानून]] तथा सत्ता द्वारा कानून को लागू करने आदि विषयों से सम्बन्धित प्रश्नों पर चिन्तन किया जाता है : ये क्या हैं, उनकी आवश्यकता क्यों हैं, कौन सी वस्तु [[राज्य के लिए औचित्य|सरकार को 'वैध']] बनाती है, किन अधिकारों और स्वतंत्रताओं की रक्षा करना सरकार का कर्तव्य है, विधि क्या है, किसी वैध सरकार के प्रति नागरिकों के क्या कर्त्तव्य हैं, कब किसी सरकार को उकाड़ फेंकना वैध है आदि। मूलत:, राजनीतिक दर्शन को दार्शनिक अन्वेषण के रूप में परिभाषित किया जा सकता है,जो यह विचार करता है कि हमारे सामूहिक जीवन को कैसे व्यवस्थित किया जाए - हमारी राजनीतिक-समाजिक संस्थाएं और,आर्थिक प्रणाली और पारिवारिक जीवन की नीति। यह मूल्यमिमांसा की वह शाखा है जो मानव समाजिक संस्थापनाओं का एवं समाज में रह रहे व्यक्ति की प्रकृति तथा, उसका समाज के साथ सम्बन्ध का अध्य्यन करती है।<ref>{{Citation|last=Miller|first=David|title=Political philosophy|date=2016|url=https://www.rep.routledge.com/articles/overview/political-philosophy/v-1|work=Routledge Encyclopedia of Philosophy|edition=1|publisher=Routledge|doi=10.4324/9780415249126-s099-1|isbn=978-0-415-25069-6|access-date=2022-10-09}}</ref> ▼
यह एक समाजिक समूह पर लागू होने वाले [[नीतिशास्त्र]] की तरह है जो यह चर्चा करता है कि एक समाज को कैसे स्थापित व व्यवस्थित किया जाना चाहिए और व्यक्ति को उस समाज के भीतर कैसे व्यवहार करना चाहिए।
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[[File:Leviathan - Hobbes' Leviathan (1651), title page - BL.jpg|thumb|थॉमस् हॉब्स् की पुस्तक'लेविआथन' राजनितिक दर्शन की सबसे महत्वपूर्ण रचनाओं में से एक है]]
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