"नास्तिक दर्शन": अवतरणों में अंतर

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→‎चार्वाक दर्शन: वर्तनी शुद्ध
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चर्वाक या लोकायत दर्शन स्पष्ट तौर पर 'ईश्वर' के अस्तित्व को नकारते हुए कहता है कि यह काल्पनिक ज्ञान है। तत्व भी पांच नहीं चार ही हैं। आकाश के होने का सिर्फ अनुमान है और अनुमान ज्ञान नहीं होता। जो प्रत्यक्ष हो रहा है वही ज्ञान है अर्थात दिखाई देने वाले जगत से परे कोई और दूसरा जगत नहीं है। आत्मा अजर-अमर नहीं है। वेदों का ज्ञान प्रामाणिक नहीं है।
चर्चावचार्वाक अनुसार यथार्थ और वर्तमान में जीयो। ईश्वर, आत्मा, स्वर्ग-नरक, नैतिकता, अनैतिकता और तमाम तरह की तार्किक और दार्शनिक बातें व्यक्ति को जीवन से दूर करती हैं। इसीलिए खाओ, पियो और मौज करो। उधार लेकर भी यह काम करना पड़े तो करो। इस जीवन का भरपूर मजा लो यही चर्वाक सत्य है।
 
== जैन दर्शन ==