"सवैया": अवतरणों में अंतर
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पंक्ति 14:
:हाथ की फीकी पड़ी मेंहदी, अब पाँव महावर छूट गया री।
:काहे वियोग मिला अइसा, मछरी जइसे तड़पे है जिया री
:आए पिया नहि बीते कई दिन, जोहत बाट खड़ी दुखियारी ॥
--प्रताप नारायण सिंह
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