"गोवर्धन पूजा": अवतरणों में अंतर

टैग: मोबाइल संपादन मोबाइल वेब संपादन
No edit summary
टैग: Reverted
पंक्ति 29:
 
इस पौराणिक घटना के बाद से ही गोवर्धन पूजा की जाने लगी। बृजवासी इस दिन गोवर्धन पर्वत की पूजा करते हैं। गाय बैल को इस दिन स्नान कराकर उन्हें रङ्ग लगाया जाता है व उनके गले में नई रस्सी डाली जाती है। गाय और बैलों को गुड़ और चावल मिलाकर खिलाया जाता है।
 
[https://hindi.mythlogs.com/govardhan-puja-2022/ गोवर्धन पूजा की पूजा-विधि।]
 
दोस्तों गोवर्धन पूजा के दिन गाय और गोवर्धन नाम के पर्वत की पूजा की जाती है। इस दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर शरीर पर तेल मलकर स्नान करने का परम्परा है। इस दिन आप निर्धारित समय पर उठकर पूजन सामग्री के साथ, आप पूजा स्थल पर बैठ जाइए और अपने कुल देव का, कुल देवी का ध्यान करीये पूजा के लिए गाय के गोबर से गोवर्धन पर्वत की प्रतिमा बनाएँ। इसे लेटे हुये पुरुष की आकृति में बनाया जाता है। प्रतिमा को बनाने के बाद अच्छे से सजाएं।
गोवर्धन की आकृति बनाकर उनके मध्य में भगवान श्री कृष्ण की मूर्ति रखी जाती है जहाँ नाभि के स्थान पर एक कटोरी जितना गड्ढा बना लिया जाता है और वहां एक कटोरी रखा जाता है फिर इसमें दूध, दही, गंगाजल, मधु और बतासे इत्यादि डालकर पंचामृत बनाया जाता है और फिर श्रद्धा भाव से पूजा की जाती है सर्वप्रथम शुद्धिकरण करके ध्यान किया जाता है
फिर भगवान का आवाहन करके पूजन संकल्प लिया जाता है जिसके बाद एक एक करके नवग्रह, पंचदेवता, स्थान देवता, कुलदेवता, और ग्राम देवता की पूजा की जाती है फिर अदिपुरुषोत्तम भगवान श्री कृष्ण की पूजा की जाती है इन पूजाओं की समाप्ति के पश्चात पशु तथा पर्वतों की पूजा की जाती है और अंत में आरती, विसर्जन करके प्रसाद वितरण किया जाता है।<ref name="गोवर्धन पूजा की पूजा-विधि।">==सन्दर्भ==गोवर्धन पूजा की पूजा-विधि। ==बाहरी कड़ियाँ==https://hindi.mythlogs.com/govardhan-puja-2022/ </ref>
 
== गोवर्धन पूजा की विधि ==