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→‎आसपास के स्थल: छितेश्वर नाथ मंदिर : खुदाई के दौरान ऊपर की जगह नीचे जाता रहा शिवलिंग
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== आसपास के स्थल ==
एक वार्षिक मेले के [[ददरी मेला (बलिया)|ददरी मेला]], एक मैदान पर शहर की पूर्वी सीमा पर गंगा और सरयू नदियों के संगम पर मनाया जाता है। [[मऊ (बहुविकल्पी)|मऊ]], [[आज़मगढ़|आजमगढ़]], [[देवरिया]], [[ग़ाज़ीपुर|गाजीपुर]] और [[वाराणसी]] के रूप में पास के जिलों के साथ नियमित संपर्क में रेल और सड़क के माध्यम से मौजूद है। रसड़ा यहाँ से ३५ किलोमीटर पश्चिम में स्थित एक क़स्बा है। यहाँ नाथ बाबा का मंदिर है जो स्थानीय सेंगर राजपूतों के देवता हैं। इसके अलावा यहाँ दरगाह हज़रत रोशन शाह बाबा, दरगाह हज़रत सैयद बाबा और लखनेसर डीह के प्राचीन अवशेष दर्शनीय स्थल हैं। नरही थाना क्षेत्र में बाबू राय बाबा का मंदिर है। जो कि नरही वाशियों की लोकप्रिय देवताओं में से एक माने जाते हैं
यहाँ ग्राम नरही मे पूरब तरफ टेढ़वा के मठिया के समीप सुप्रसिद्ध श्री भीम ब्रम्ह बाबा का मंदिर स्थिति है, जिनकी ख्याति दूर दूर तक फैली है, का निर्माण मठिया के निवासी श्री कन्हैया यादव ने ही जनसहयोग से कराया था।
 
बांसडीह, बलिया।
 
इसी कड़ी में बांसडीह ब्लॉक अंतर्गत छितौनी (पहले सीता अवनी ) फिर बाद में छितौनी में स्थित '''आदि ऋषि महर्षि बाल्मिकी के आचार्यवत्व व माता सीता द्वारा स्थापित छितेश्वर नाथ महादेव शिवलिंग की स्थापना लगभग 1600ई वी हुई थी''' । आज भी मंदिर से 100 मीटर की दूरी पर बाल्मिकी आश्रम स्थापित है।
 
मान्यता है कि त्रेतायुग में भगवान राम ने एक धोबी के कहने पर माता सीता को बन में जाने की आज्ञा दी थी. तब माता सीता को महर्षि वाल्मीकि ने अपने आश्रम में रहने का आग्रह किया था. उसी समय माता सीता ने अपने पुत्रों लव और -कुश के जन्म के उपरांत कुशेश्वर नाथ के रूप में इस शिवलिंग को स्थापित किया था. जो आज भी छितौनी ग्राम के बगल में कुसौरा गाँव जो की कुश के नाम से ही कुसौरा पड़ा था. बाद में जब महर्षि वाल्मीकि ने इस स्थान से अपना आश्रम कही अन्यत्र स्थापित किया तो यह स्थान फिर वीरान सा हो गया तथा यह शिवलिंग धरती के नीचे दब गया. लगभग 800 सौ साल पहले छितौनी से पांच किलोमीटर दूर बहुवारा गाँव के एक तपस्वी जो हमेशा ब्रह्पुर (बिहार) में ब्रह्मशेवर नाथ शंकर महादेव का दर्शन के लिये गंगा पार जाते थे. तपस्वी को एक दिन सपने में भोलेनाथ ने( सीता अवनी) छितौनी में होने का संकेत दिया. और कहा कि इतनी दूर मत जाओ मैं यही हुं , फिर आस पास के ग्रामीणों के सहयोग से उक्त स्थान पर खुदाई की गई . खुदाई के उपरांत छितौनी में ही इस शिवलिंग का विग्रह प्राप्त हुआ. इस शिव लिंग को ऊपर लाने का बहुत प्रयास किया गया. जब जब शिवलिग को ऊपर लाने का प्रयास होता तब तब शिवलिंग उतना ही नीचे चला जाता. तभी भगवान भोलेनाथ महात्मा के रूप में प्रकट होकर गाँव के लोगों को दर्शन देकर इसी तरह शिवलिंग की पूजा अर्चना करने की सलाह दी और इस शिवलिंग को छितेश्वर नाथ महादेव का नाम देकर अंतर्ध्यान हो गए. बाद में यह नाम छितेश्वर नाथ के नाम से विख्यात हुआ ।यहां मांगी हर मुराद पूरी होती है. ऐसी एक मान्यता यह भी है कि भगवान राम लंका पर विजय प्राप्त कर अयोध्या आये तो उन पर ब्रह्महत्या का दोष लगा,राजसूय यज्ञ के दौरान जब कुश व लव ने राजसूय यज्ञ का घोड़ा बंदी बना लिया था तो भगवान राम को यहां आना पड़ा और छितौनी में ही शिव पोखरा में स्नान कर ब्रह्महत्या के दोष मुक्त हुए थे. आज भी ब्रह्महत्या के दोषी शिव पोखरा में स्नान कर दोष मुक्त हो जाते हैं. शिवलिंग का दर्शन पाने के लिये लोग बहुत दूर दूर से आते हैं. यहां रोज हजारों लोग दर्शन के लिये आते है. श्रावण मास में और शिवरात्रि में यहां मेला लगता है. लोग खूब जिलेबी और सब्जी का आनंद लेते हैं.
 
== उल्लेखनीय व्यक्तित्व ==
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* [[चन्द्रशेखर]]- भारत के नवें प्रधानमन्त्री।
* [[जनेश्वर मिश्र]] - "छोटे लोहिया" के नाम से जाने जाने वाले समाजवादी नेता। पूर्व केंद्रीय रेल मंत्रीI
* [[केदारनाथ सिंह]]<nowiki/>- [[ज्ञानपीठ पुरस्कार -2013]] से सम्मानित प्रख्यात हिंदी साहित्यकार।
* [[दूधनाथ सिंह]] - प्रख्यात हिंदी साहित्यकार।
* [[हरिवंश नारायण सिंह]] - उपसभापति राज्यसभाI
* [[सिद्धांत चतुर्वेदी]] - अभिनेताI
* अमरकांत- हिंदी साहित्यकार[ज्ञानपीठ पुरस्कार-2009 तथा साहित्य अकादमी पुरस्कार]
 
== बाहरी कड़ियाँ==
"https://hi.wikipedia.org/wiki/बलिया" से प्राप्त