"पंच प्रयाग": अवतरणों में अंतर

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[[अलकनंदा]] तथा [[भगीरथी]] नदियों के संगम पर देवप्रयाग नामक स्थान स्थित है। इसी संगम स्थल के बाद इस नदी को गंगा के नाम से जाना जाता है। यह समुद्र सतह से १५०० फ़ीट की ऊंचाई पर स्थित है। देवप्रयाग की [[ऋषिकेश]] से सडक मार्ग दूरी ७० किमी० है। गढवाल क्षेत्र में भगीरथी नदी को सास तथा अलकनंदा नदी को बहू कहा जाता है। देवप्रयाग में शिव मंदिर तथा रघुनाथ मंदिर है, जो की यहां के मुख्य आकर्षण हैं। रघुनाथ मंदिर द्रविड शैली से निर्मित है। देवप्रयाग को सुदर्शन क्षेत्र भी कहा जाता है। देवप्रयाग में कौवे दिखायी नहीं देते, जो की एक आश्चर्य की बात है। स्कंद पुराण केदारखंड में इस तीर्थ का विस्तार से वर्णन मिलता है कि देव शर्मा नामक ब्राह्मण ने सतयुग में निराहार सूखे पत्ते चबाकर तथा एक पैर पर खड़े रहकर एक हज़ार वर्षों तक तप किया तथा भगवान विष्णु के प्रत्यक्ष दर्शन और वर प्राप्त किया।
 
== Uttrakhand मे sonprayag name का भी ek प्रयाग है ==
== सोनप्रयाग ==
{{टिप्पणीसूची}}
{{टिप्पणीसूची}}यहाँ वासुकि ताल से निकलने वाली वासुकि गंगा नदी और मंदाकिनी नदी का संगम होता है| यहां से 5 किलोमीटर आगे गौरी कुंड है गौरी कुंड एक गर्म जल का कुंड है जंहा श्रद्धालु स्नानादि करके केदारनाथ मंदिर की 16 किलोमीटर चढ़ाई यात्रा शुरू करते है |
{{गंगा}}
 
[[श्रेणी:उत्तराखंड के तीर्थ]]
[[श्रेणी:चारोगंगा धामनदी]]
[[श्रेणी:हिन्दू तीर्थ स्थल]]
[[श्रेणी:प्रयाग]]