"मुहम्मद बिन तुग़लक़": अवतरणों में अंतर
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== खुरासान एवं कराचिल अभियान ==
चौथी योजना के अन्तर्गत मुहम्मद तुग़लक़ के खुरासान एवं कराचिल विजय अभियान का उल्लेख किया जाता है। खुरासन को जीतने के लिए मुहम्मद तुग़लक़ ने ३,७०,००० सैनिकों की विशाल सेना को एक वर्ष का अग्रिम वेतन दे दिया, परन्तु राजनीतिक परिवर्तन के कारण दोनों देशों के मध्य समझौता हो गया, जिससे सुल्तान की यह योजना असफल रही और उसे आर्थिक रूप से हानि उठानी पड़ी। कराचिल अभियान के अन्तर्गत सुल्तान ने खुसरो मलिक के नेतृत्व में एक विशाल सेना को पहाड़ी राज्यों को जीतने के लिए भेजा। उसकी पूरी सेना जंगली रास्तों में भटक गई, इब्न बतूता के अनुसार अन्ततः केवल दस अधिकारी ही बचकर वापस आ सके। इस प्रकार मुहम्मद तुग़लक़ की यह योजना भी असफल रही। सम्भवतः १३२८-२९ ई. के मध्य मंगोल आक्रमणकारी तरमाशरीन चग़ताई ने एक विशाल सेना के साथ भारत पर आक्रमण कर मुल्तान, लाहौर से लेकर दिल्ली तक के प्रदेशों को रौंद डाला। ऐसा माना जाता है कि, सुल्तान मुहम्मद तुग़लक़ ने मंगोल नेता को घूस देकर वापस कर दिया था ये भी स्म्भ्व है कि मंगोल नेता ने सुल्तान को दिल्ली स्ल्तन्त को खुद ही य्थास्थिति कमज़ोर करने व इसी तरह मंगोल शास्न के लिए ज़्मीन त्यार करने के लिए घूस दी। उनके बीच जो भी हुआ, मंगोल नेता के प्रति इस समझोते की नीति के कारण सुल्तान को आलोचना का शिकार बनना पड़ा। ये सही है कि इसके बाद फिर कभी मुहम्मद तुग़लक़ के समय में भारत पर मंगोल आक्रमण नहीं हुआ और ये भी कि अपनी महत्त्वाकांक्षी असफल योजनाओं के कारण मुहम्मद तुग़लक़ को ‘असफलताओं का बादशाह’ कहा जाता है। अली सर की कलम से
== महत्त्वपूर्ण विद्रोह ==
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