"रबी की फ़सल": अवतरणों में अंतर

बुवाई शब्द को ठीक करके बुआई किया गया बस इतना ही।
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यहां बुवाई को ठीक करके सिर्फ बुआई लिखा बस।
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सर्वप्रथम माह जून के अंतिम सप्ताह में बारिश होने के बाद दो बार खेत की जुताई करते हैं तथा सितम्बर में एक बार व अक्टूबर में दो बार जुताई करते हैं। सूखा क्षेत्र होने के कारण वर्ष में एक ही बार फसल की बुवाई करते हैं। फसल का चयन करते समय अलग-अलग लम्बाई की जड़ों (मूसला व जकड़ा जड़) वाली फसल जैसे- गेहूं, चना, अलसी, सरसों आदि की बुवाई एक साथ करते हैं। क्योंकि कठिया गेहूं की जड़ दो से तीन इंच लम्बी होती है, चना की जड़ 6 से आठ इंच तक लंबी होती है, जबकि अलसी एवं सरसों की मूसला जड़े चार से पांच इंच तक लंबी होने के कारण पौधों को निरंतर नमी मिलती रहती है और उत्पादन अधिक होता है। घर पर संरक्षित व सुरक्षित देशी बीजों का प्रयोग करते हैं। एक एकड़ खेत में मिश्रित बुवाई करने के लिए कठिया गेहूं 20 किग्रा., देशी चना 20 किग्रा. अलसी 6 किग्रा. व सरसों 2 किग्रा. को मिलाकर बुवाई करते हैं।
 
==बुवाईबुआई का समय व विधि==
अक्टूबर माह के अंतिम सप्ताह या दीपावली के पहले बुवाई करते हैं। इसके लिए सभी बीजों कठिया गेंहूं, देशी चना व अलसी तथा डी.ए.पी. खाद को एक साथ मिलाकर हल बांसा बांधकर बुवाई करते हैं। बुवाई के लिए एक मज़दूर भी लगाते है। अर्थात् एक मज़दूर हल को पकड़ता है तथा दूसरा बीज को बांसा में डालता जाता है तब बुवाई होती है। बीज की बुवाई 3 से 4 इंच की गहराई पर करते हैं। इसके बाद सरसों की बुवाई कूंड अर्थात् लाइन में करते हैं। लाइन से लाइन की दूरी 5 से 6 इंच की होती है।