"उपनिवेश": अवतरणों में अंतर

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== दृष्टिकोण ==
इसकी व्याख्या प्रजातीय उच्चता के रूप में भी की गई है। फ्रांसीसी विचारकों ने उपनिवेशवाद को सभ्यता के विकास का साधन माना है। जॉन स्टुअर्ट मिल के अनुसार इस व्यवस्था ने पिछड़े देशों को उच्च देशों के संपर्क में आने का अवसर दिया है। लुगार्ड (1922) इसे दो दृष्टियो से प्रस्तुत करता है। उपनिवेशों के विकास का दायित्व श्रेष्ठ देश पर हो जाता है और उनको संकुचित स्थिति विश्व के संदर्भ में प्रमुख होती है। लेकिन भारतीय स्वतंत्रता और अफ्रेशियायी जागरण से इन मान्यताओं की चुनौतियाँ मिली हैं। पंचशील की नीति उपनिवेशवाद का अंतरराष्ट्रीय प्रतिवाद है और 1955 में बांदुंग प्रस्ताव इसका परिणाम। संयुक्त राष्ट्र का घोषणापत्र (1960) इसी की स्वीकृति है। इसमें राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक, शेक्षणिक आदि सभी प्रकार के उपनिवेशवाद की निंदा की गई है। इसके साथ ही उपनविशेवाद ने नया रूप धारण किया है। विश्व को विकसित अविकसित जैसे भागों में बाँट दिया गया है। इसमें प्राविधिक, शैक्षणिक, सैनिक, सहायता आदि का कार्य उपनिवेश कर रहा है। इसे अभिनव उपनिवेशवाद कहा जाता है। इसका प्रतीक है अमरीका। Upnivesh kal mein angrejon ne Bhartiya sainikon ko kin kshetron mein bheja tha ine aur inhen kin karya ke liye bheja gaya tha
 
== आर्थिक पक्ष ==