"बीरबल साहनी": अवतरणों में अंतर

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==जीवनी==
प्रोफेसर बीरबल साहनी, प्रोफेसर रुचिराम साहनी एवं श्रीमती ईश्वर देवी की तीसरी संतान थे। उनका जन्म नवंबर, 1891 को पश्चिमी [[पंजाब]] के शाहपुर जिले के भेरा नामक एक छोटे से व्यापारिक नगर में हुआ था, जो अब [[पाकिस्तान]] में है। उनका परिवार वहां डेराइस्माइल खान से स्थानांतरित हो कर बस गया था।
 
कुटुंब के लोग स्कूल एवं कालेज की छुट्टियों में अक्सर भेरा चले जाते थे। वहां से युवा बीरबल अपने पिता तथा भाइयों के साथ आसपास के देहात के ट्रेक (कष्टप्रद यात्रा) पर निकल जाते। इन ट्रेकों में निकटस्थ लवण पर्वतमाला भी शामिल रहती, विशेषकर खेवड़ा। संभवत उसी समय उसके मन में भूविज्ञान तथा पुरावनस्पति विज्ञान के प्रति रुचि जागृत हुई, क्योंकि लवण पर्वतमाला में पादपयुक्त शैल समूह थे। वास्तव में वह भूविज्ञान का संग्रहालय ही था। बाद के वर्षों में प्रोफेसर साहनी ने इस क्षेत्र के भूवैज्ञानिक काल-निर्धारण में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया।
 
प्रोफेसर साहनी केवल वैज्ञानिक तथा विद्वान ही नहीं, वरन बड़े देशभक्त भी थे। वे बड़े ही धार्मिक थे, पर अपने धार्मिक विचारों की कभी चर्चा नहीं करते थे। वे उत्कृष्ट गुणों से संपन्न व्यक्ति थे, उदार एवं आत्मत्यागी थे। उनमें ये गुण अपने पिता से आए थे जो स्वयं सभी सद्गुणों की मूर्ति थे। प्रोफेसर रुचिराम साहनी श्रेष्ठ विद्वान थे और समाज सुधार, विशेषकर स्त्री-स्वतंत्रता के क्षेत्र में अग्रणी थे।
 
यह परिवार मूल रूप से सिंधु नदी के तट पर स्थित महत्वपूर्ण व्यापारी नगर डेराइस्माइल खान का था। प्रोफेसर रुचिराम साहनी जब बहुत कम आयु के थे तभी उन्हें यह शहर छोड़ना पड़ा क्योंकि परिवार की आर्थिक दशा बिगड़ गई और उनके पिता की मृत्यु हो गई, जिनका महाजनी का काम किसी समय खूब चलता था।
 
===शिक्षा===