"अमरनाथ": अवतरणों में अंतर
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'''अमरनाथ'''
यहाँ की प्रमुख विशेषता पवित्र गुफा में बर्फ से प्राकृतिक शिवलिंग का निर्मित होना है। प्राकृतिक हिम से निर्मित होने के कारण इसे स्वयंभू [[हिमानी शिवलिंग]] भी कहते हैं। [[आषाढ़]] [[पूर्णिमा]] से शुरू होकर [[रक्षाबन्धन|रक्षाबंधन]] तक पूरे [[श्रावण|सावन]] महीने में होने वाले पवित्र हिमलिंग दर्शन के लिए लाखों लोग यहां आते हैं।<ref>{{cite web|url= http://www.jagran.com/books/mansarovar/inner.asp?ArticleID=5|title= भगवान शिव के तीर्थस्थान|access-date= 3 अगस्त 2007|format= एचटीएमएल|publisher= जागरण|archive-url= https://web.archive.org/web/20070928030723/http://www.jagran.com/books/mansarovar/inner.asp?ArticleID=5|archive-date= 28 सितंबर 2007|url-status= live}}</ref> गुफा की परिधि लगभग डेढ़ सौ फुट है और इसमें ऊपर से बर्फ के पानी की बूँदें जगह-जगह टपकती रहती हैं। यहीं पर एक ऐसी जगह है, जिसमें टपकने वाली हिम बूँदों से लगभग दस फुट लंबा शिवलिंग बनता है। [[चन्द्रमा]] के घटने-बढ़ने के साथ-साथ इस बर्फ का आकार भी घटता-बढ़ता रहता है। [[श्रावण]] पूर्णिमा को यह अपने पूरे आकार में आ जाता है और [[अमावस्या]] तक धीरे-धीरे छोटा होता जाता है। आश्चर्य की बात यही है कि यह शिवलिंग ठोस बर्फ का बना होता है, जबकि गुफा में आमतौर पर कच्ची बर्फ ही होती है जो हाथ में लेते ही भुरभुरा जाए। मूल अमरनाथ शिवलिंग से कई फुट दूर गणेश, भैरव और पार्वती के वैसे ही अलग अलग हिमखंड हैं।
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