"फोर स्ट्रोक इंजन": अवतरणों में अंतर

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*चौथा और अंतिम चरण '''एग्जास्ट साइकिल''' का होता है। इनकेट की प्रक्रिया के दौरान यह वाल्व खुलता है और ईंधन दहन के दौरान धक्का मिलने पर यह वाल्व काम करने लगता है और चार स्ट्रोकों की यह प्रक्रिया पूरी हो जाती है।
 
फोर स्ट्रोक इंजिन के कई लाभ होते हैं।<ref name="हिन्दुस्तान"/> यह इंजन की शक्ति क्षमता को बढ़ाता है। टू-स्ट्रोक इंजन में क्रैक-शाफ़्ट के दो चक्रों में पहिया एक बार पूरा घूमता है, जबकि फोर-स्ट्रोक इंजन में क्रैंख-शाफ्ट के चार चक्रों में पहिया एक बार पूरा घूमता है। इससे गाड़ी की माइलेज में सुधार होता है। [[ऊर्जा]]टू-स्ट्रोक काकी पूराअपेक्षा उपयोगइंजन होनेमें सेकम इंजनगर्मी पैदा होती है। घूमने वाले हिस्सों की आयुतरलता बढ़तीके हैलिए व उन्हें रगड़ और वहघर्षण धुंआसे कमबचाने फेंकताके लिए अलग से लुब्रीकेशन ऑयल पहुंचाया जाता है। इसबिना प्रकारलुब्रीकेन्ट इंजनऑयल मिले पेट्रोल में जब दहन होता है तो जो अपशिष्ट गैसे बनती है, उसमें उपस्थित जल की क्षमतावाष्प सायलेंसर से गुजरते हुए उसे खराब अवश्य करती है। सायलेंसर की यह स्थिति उन वाहनों में ) देखने में नहीं आती, जिनमें इंर्धन के साथ ऑयल मिला होता है।<ref>[http://ayurvedicchikitsa.blogspot.com/2008/09/blog-साथpost_9695.html ही उत्सर्जनवृक्ष भीक्यों अपेक्षकृतहमारे कममित्र होतानहंी , आगे का सार]</ref> है।
 
[[ऊर्जा]] का पूरा उपयोग होने से इंजन की आयु बढ़ती है और वह धुंआ कम फेंकता है। इस प्रकार इंजन की क्षमता के साथ-साथ ही उत्सर्जन भी अपेक्षकृत कम होता है।
 
==ऊर्जा संतुलन==