"अभिधा": अवतरणों में अंतर

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' according to Shivam Pandey ,(dhutpura(''अभिधा''' [[शब्दशक्ति|शब्द शक्ति]] का पहला प्रकार है जो शब्दों के शब्दकोशीय अर्थ का बोध कराती है। इसमें किसी शब्द का सामान्य अर्थ में प्रयोग किया जाता है। जैसे 'सिर पर चढ़ाना' का अर्थ किसी चीज को किसी स्थान से उठाकर सिर पर रखना होगा। साक्षात् सांकेतित अर्थ (मुख्यार्थ या वाच्यार्थ) को प्रकट करने वाली शब्दशक्ति अभिधा शब्दशक्ति कहलाती है। इसे ‘प्रथमा’ एवं ‘अग्रिमा’ शक्ति भी कहते हैं। मुख्यार्थ की बोधिका होने के अतिरिक्त यह शक्ति पद और पदार्थ के पारस्परिक संबंध का भी ज्ञान कराती है। जैसे–गाय दूध देती है। मोहन पढ़ता है।
1 जब किसी पद में ‘यमक’ अलंकार की प्राप्ति होती है तो वहाँ प्राय: अभिधा शब्द शक्ति होती है।
2 कभी–कभी ‘उत्प्रेक्षा’ अलंकार के पदों में भी उनका मुख्य अर्थ ही प्रकट होता है , अत: इस अलंकार के पदों में भी प्राय: ( सदैव नहीं ) अभिधा शब्द शक्ति होती है।
"https://hi.wikipedia.org/wiki/अभिधा" से प्राप्त