"कलियुग": अवतरणों में अंतर

2405:204:33a5:8f08:a8ed:2fff:fe0f:323d के सम्पादनों को हटाया (रोहित साव27 के पिछले संस्करण को पुनः स्थापित किया।)
टैग: Manual revert Disambiguation links
पंक्ति 1:
'''कलियुग''' हिन्दू काल गणना में चार युगों की अवधारणा में चौथा और अंतिम [[युग]] है। मान्यता अनुसार महाभारत युद्ध ३१३७ ई.पू. में हुआ और कलियुग का आरम्भ इस युद्ध के ३५ वर्ष पश्चात अर्थात भगवान श्रीकृष्ण के अपने धाम जाने के बाद हुआ। पुराणों के अनुसार कलियुग में भगवान विष्णु के अंतिम अवतार भगवान [[कल्कि]] का अवतरण होगा और कलियुग समाप्त हो जाएगा|
{{हिन्दू काल गणना}}
 
[[श्रेणी:श्रीमद्भागवत|कलियुग]]
हिंदू घर्म में वेद और पुराणों में चार युग बताए गए हैं। माना जाता है कि सतयुग में स्वयं देवता, किन्नर और गंधर्व पृथ्वी पर निवास करते थे। सतयुग के बाद आया त्रेता युग। इस युग में भगवान श्रीराम का जन्म हुआ। इसके बाद द्वापर युग की शुरुआत हुई , इस युग में श्रीकृष्ण भवान ने जन्म लेकर पृथ्वी से दुष्टों का संहार किया। द्वापर युग के बाद कलयुग की शुरूआत हुई। वेदों और पुराणों के अनुसार कलयुग का कालखंड सबसे छोटा माना गया है इस युग में भगवान विष्णु का दसवां अवतार होगा, जिसका नाम होगा कल्कि। विष्णु पुराण के अनुसार इस युग में कन्याएं 12 साल में ही गर्भवती होने लगेंगी, मनुष्य की औसत आयु घटकर 20 साल रह जाएगी।
[[श्रेणी:हिन्दू धर्म|कलियुग]]
[[श्रेणी:पौराणिक कथाएँ|कलियुग]]
 
{{hinduism-stub}}
'''1) कलयुग से जुड़ी विशेष बातें'''
 
विष्णु पुराण के अनुसार देवताओं के पूछे जाने पर कि किस युग में तप और पुण्य का फल जल्दी मिलेगा तो पराशर ऋषि ने वेदव्यासजी के कथनों का जिक्र करते हुए कलियुग को सबसे उत्तम बताया।
 
- श्रीवेदव्यास जी को ही वेदों का रचनाकार माना जाता है। वेदव्यास जी से जुड़ी एक पौराणिक कथा के अनुसार, वेदव्यास जी ने सभी युगों में कलयुग को श्रेष्ठ युग कहा है।
 
विष्णुपुराण में वर्णित एक घटना के अनुसार, मुनिजनों और ऋषियों के साथ चर्चा करते हुए वेदव्यास जी कहते हैं सभी युगों में कलयुग ही सबसे श्रेष्ठ युग है। क्योंकि दस वर्ष में जितना व्रत और तप करके कोई मनुष्य सतयुग में पुण्य प्राप्त करता है, त्रेतायुग में वही पुण्य एक साल के तप द्वारा प्राप्त किया जा सकता है।
 
 
- ठीक इसी प्रकार उतना ही पुण्य द्वापर युग में एक महीने के तप से प्राप्त किया जा सकता है तो कलयुग में इतना ही बड़ा पुण्य मात्र एक दिन के तप से प्राप्त किया जा सकता है। इस तरह व्रत और तप के फल की प्राप्ति के लिए कलयुग ही सबसे श्रेष्ठ समय है।
 
पराशर ऋषि मुनि शक्ति के पुत्र तथा वशिष्ट ऋषि के पौत्र थे। ऋषि वशिष्ठ ब्रह्मा के पुत्र हैं। पराशर ऋषि को सभी वेदों का ज्ञान था।
 
(Written By Ashutosh Mishra, Instagram - ashu_007_here)
 
== Next [[युग]] ==