"त्रिदोष": अवतरणों में अंतर
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तीनों दोषों में सर्वप्रथम वात दोष ही विरूद्ध आहार-विहार से प्रकुपित होता है और अन्य दोष एवं धातु को दूषित कर रोग उत्पन्न करता है। वात दोष प्राकृत रूप से प्राणियों का प्राण माना गया है। आयुर्वेद शास्त्र में शरीर रचना, क्रिया एवं विकृतियों का वर्णन एवं भेद और चिकित्सा व्यवस्था दोषों के अनुसार ही किया जाता है।
== वात दोष के पांच भेद ==
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* 4- [[अपान वात]]
* 5- [[व्यान वात]]
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== पित्त दोष के पांच भेद ==
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* 3- [[
* 4- [[आलोचक पित्त]]
* 5- [[
== कफ दोष के पांच भेद ==
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* 1- [[क्लेदन कफ]]
* 2- [[अवलम्बन कफ]]
* 3- [[
* 4- [[
* 5- [[
== सन्दर्भ ग्रन्थ ==
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*[https://web.archive.org/web/20170302200000/http://hindi.speakingtree.in/blog/--1-502724 त्रिदोष सिद्धान्त]
*[https://web.archive.org/web/20170302200915/http://hindi.awgp.org/gayatri/sanskritik_dharohar/bharat_ajastra_anudan/aurved/aayurved_ka_vyapak_kshetra/tridosh.1 त्रिदोष परिचय एवं लक्षण]
[[श्रेणी:आयुर्वेद]]
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