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तीनों दोषों में सर्वप्रथम वात दोष ही विरूद्ध आहार-विहार से प्रकुपित होता है और अन्य दोष एवं धातु को दूषित कर रोग उत्पन्न करता है। वात दोष प्राकृत रूप से प्राणियों का प्राण माना गया है। आयुर्वेद शास्त्र में शरीर रचना, क्रिया एवं विकृतियों का वर्णन एवं भेद और चिकित्सा व्यवस्था दोषों के अनुसार ही किया जाता है।
 
== वात, पित्त, कफ वात को बिगड़ने से बचाने के लिए कुछ बातों का ध्यान रखें ==
1. सुबह तथा शाम को सैर करने से पित्त संतुलित होता है।
 
2. रोज़ाना 7-8 गिलास पानी पिए। लकिन ठंडा पानी पिने से बचें।
 
3. दोपहर में एक से डेढ़ बजे के बीच दोपहर का भोजन अवश्य कर लेना चाहिए क्योंकि यह यह पित्त का  समय होता है, जब पाचक अग्नि पर्याप्त होती है।
 
4. भोजन के बाद कुछ समय आराम करना चाहिए। या थोड़ी देर टहलें इससे पाचन में मदद मिलती है।
 
5. चाय, कॉफ़ी और बाज़ारी पेय का सेवन कम करें।
 
6. हर बार ताजा भोजन ही खाएं।
 
7. बाहर का खाना बंद करें।
 
8. साधा भोजन ही खाएं।
 
9. मांस से परहेज़ करें।
 
10. चिंता से दूर रहें ।
 
11. व्यायाम और योग करें।
 
== वात दोष के पांच भेद ==
 
* 1- [[उदानप्राण वात]]
* 2- [[प्राणसमान वात]]
* 3- [[समानउदान वात]]
* 4- [[अपान वात]]
* 5- [[व्‍यान वात]]
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== पित्‍त दोष के पांच भेद ==
 
* 1- [[पाचकसाधक पित्‍त]]
* 2- [[रंजकभ्राजक पित्‍त]]
* 3- [[साधकरंजक पित्‍त]]
* 4- [[आलोचक पित्‍त]]
* 5- [[भ्राजकपाचक पित्‍त]]
 
== कफ दोष के पांच भेद ==
Line 68 ⟶ 45:
* 1- [[क्‍लेदन कफ]]
* 2- [[अवलम्‍बन कफ]]
* 3- [[रसनश्‍लेष्‍मन कफ]]
* 4- [[स्नेहनरसन कफ]]
* 5- [[श्लेष्मनस्‍नेहन कफ]]
 
== सन्‍दर्भ ग्रन्‍थ ==
Line 90 ⟶ 67:
*[https://web.archive.org/web/20170302200000/http://hindi.speakingtree.in/blog/--1-502724 त्रिदोष सिद्धान्त]
*[https://web.archive.org/web/20170302200915/http://hindi.awgp.org/gayatri/sanskritik_dharohar/bharat_ajastra_anudan/aurved/aayurved_ka_vyapak_kshetra/tridosh.1 त्रिदोष परिचय एवं लक्षण]
*[https://lifewingz.com/vata-pitta-kapha/ त्रिदोष से बचाव]
 
[[श्रेणी:आयुर्वेद]]