"हाईपोथर्मिया": अवतरणों में अंतर

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पहली स्थिति में शरीर का तापमान सामान्य तापमान से १-२° कम हो जाता है। इस स्थिति में रोगी के हाथ सही तरीके से काम नहीं करते। सबसे ज्यादा समस्या रोगी के पेट में होती है और वह थकान महसूस करता है। शरीर का तापमान, सामान्य से २-४° कम हो जाता है। इस स्थिति में कंपकंपाहट तेज हो जाती है। रक्त वाहिकाएं सिकुड़ जाती हैं। रोगी पीला पड़ जाता है और उंगलियां, होंठ और कान नीले पड़ जाते हैं। जब शरीर का तापमान ३२° सेल्सियस से भी कम हो जाता है तो कंपकपाहट खत्म हो जाती है। इस दौरान बोलने में परेशानी, सोचने में परेशानी और एमनीशिया की स्थिति होती है। साथ ही [[कोशिका|कोशिकीय]] [[उपापचय]] दर कम हो जाता है। ३०° से कम तापमान होने पर त्वचा नीली पड़ जाती है। इसके साथ ही चलना असंभव हो जाता है। शरीर के कई अंग अकार्यशील हो जाते हैं।
 
==प्रकार==
मानव इतिहास में कई युद्धों की सफलता और विफलता के पीछे हाइपोथर्मिया रहा है। दोनों ही विश्व युद्धों में हाइपोथर्मिया के कारण कई लोगों की जानें गईं। २१८ ई.पू. में [[हान्निबल]] के युद्ध में असंख्य लोग हाइपोथर्मिया के कारण मारे गए थे। [[१८१२]] में [[रूस]] में [[नेपोलियन]] की सेना को हाइपोथर्मिया की वजह से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
==रोग==
ग्रामीण क्षेत्र में अधिकतर शिशुओं की मृत्यु जन्म लेते ही हो जाती है। ये बच्चों हाइपोथर्मिया के ही शिकार हो जाते हैं। असल में जब तक बच्चा मां के गर्भ में रहता है तब उसका तापमान कुछ ओर रहता है लेकिन पैदा होने के साथ ही वह बाहर के तापमान में आ जाता है, जिसके कारण बच्चा बाहर के तापमान को एकदम नहीं सह पाता। इस समय ही बच्चों को ठंड लगती है और या तो वह [[न्यूमोनिया]] का शिकार हो जाता है, या थोड़ी ही देर में दम तोड़ देता है। अधिकतर बडे चिकित्सालयों में प्रसव-कक्ष का तापमान बच्चों के अनुरूप रखा जाता है या फिर बच्चा पैदा होने के साथ उसे गर्म कपड़े में लपेट लिया जाता है।
 
इसको चार विभिन्न श्रेणियों में बांटा जाता है।
* '''हल्का''' ३२-३५ डिग्री सेल्सियस (९०-९५ ° फैरेनहाइट),
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* '''गंभीर''' २०-२८ ° सेल्सियस (६८-८२ ° फैरेनहाइट) और
* '''अत्यधिक''' २० ° सेल्सियस से कम (६८ ° फैरेनहाइट)।
 
==इतिहास==
मानव इतिहास में कई युद्धों की सफलता और विफलता के पीछे हाइपोथर्मिया रहा है। दोनों ही विश्व युद्धों में हाइपोथर्मिया के कारण कई लोगों की जानें गईं। २१८ ई.पू. में [[हान्निबल]] के युद्ध में असंख्य लोग हाइपोथर्मिया के कारण मारे गए थे। [[१८१२]] में [[रूस]] में [[नेपोलियन]] की सेना को हाइपोथर्मिया की वजह से कई मुश्किलों का सामना करना पड़ा था।
 
==लक्षण==
हाइपोथर्मिया के लक्षणों में मुख्य हैं - धीमी, रुकती आवाज, आलस्य , कदमों में लड़खड़ाहट , हृदयगति और सांस और ब्लड प्रेशर बढ़ना आदि। इससे युवाओं और बुजुर्गों को, खासकर जिनको [[मधुमेह]] या इससे जुड़ी बीमारियां हैं या जो मदिरापान या ड्रग का प्रयोग ज्यादा करते हैं, उन्हें होता है।
 
==ग्रामीण बच्चों में==
 
 
== सावधानी==
घर से बाहर निकलते समय सिर, गला और कान पूरी तरह से ढका हुआ रखना चाहिये। घर से बाहर निकलने से पहले अल्पाहार या खाना खाकर जरूर निकलें। अगर काफी थके हों तो आराम कर लें क्योंकि थकान के दौरान खुद को गर्म रख पाना काफी मुश्किल होता है। शरीर को गर्म रखने के लिए कपड़े खूब पहनें। खुद को गर्म रखने के लिए नशीले पेय जैसे [[कॉफी]] या [[चाय]] का सेवन न करें। वॉर्म कूलर के सीधे एक्सपोजर से बचें। फिर भी यदि समस्या ज्यादा हो तो चिकित्सक से तुरंत परामर्श लें।