"जैसलमेर": अवतरणों में अंतर

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छो साकङा का इतिहास
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जैसलमेर जिले का भू-भाग प्राचीन काल में ’माडधरा’ अथवा ’वल्लभमण्डल’ के नाम से प्रसिद्ध था। [[महाभारत]] के युद्ध के बाद बड़ी संख्या में यादव इस ओर अग्रसर हुए व यहाँ आ कर बस गये। यहाँ अनेक सुंदर हवेलियां और जैन मंदिरों के समूह हैं जो 12वीं से 15वीं शताब्‍दी के बीच बनाए गए थे।<ref name="सरकार">{{cite web|url= http://bharat.gov.in/knowindia/jaisalmer.php|title= जैसलमेर का किला|access-date= २७ जुलाई २००९|author= राष्‍ट्रीय पोर्टल विषयवस्‍तु प्रबंधन दल|last= |first= |format= पीएचपीएचटीएमएल|work= |publisher= भारत सरकार|pages= ०१|language= हिन्दी|archive-url= https://web.archive.org/web/20090726095929/http://bharat.gov.in/knowindia/jaisalmer.php|archive-date= 26 जुलाई 2009|url-status= live}}</ref>
 
जैसलमेर का प्रसिद्ध डाकुओ का गांव - राजस्थान के पूर्व महामहिम मुख्यमंत्री श्री जयनारायण व्यास का #सांकङा गांव जैसलमेर से काफी लगाव था #सांकङा वही गांव है जो प्राचीन राजस्थान मे डाकुओ की नगरी के नाम से प्रसिद्ध था यहां के डाकुओ की एक अलग पहचान यह थी कि इन्होने लूट पाट के लिए किसी गरीब निध्रन को नही सताया #आज भी सांकङा मे बना प्राचीन कुंआ डाकुओ की बहादुरी का परिचय दे रहा है किंवदती है कि इस कुए का पानी पीकर हर एक डाकू बन जाता था बाद मे राज्य सरकार ने इस कुंए को बन्द करवा दिया इन डाकुओ मे प्रमुख भीख सिंह राठौङ ,ओम पुरी ,लाल पुरी, कादर खांन ,कमु खान इत्यादि
 
== भौगोलिक स्थिति ==