"गैलापागोस द्वीपसमूह": अवतरणों में अंतर
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=== मुख्य द्वीप ===
[[चित्र:Waved Albatross (Phoebastria irrorata) -Espanola -Punta Suarez3.jpg|thumb|एस्पानॉला पर [[गैलापागोस एल्बाट्रॉस]]]]
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| 7
| [[मार्शेना(गैलापागोस)|
| ''बिंडलॉ''
| 130 किमी²
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| 11
| [[सांता फे (गैलापागोस)|
| ''बैरिंगटन''
| 24 किमी²
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| 12
| [[पिंज़ोन (गैलापागोस)|
| ''डंकन''
| 18 किमी²
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| 13
| [[जेनोवेसा (गैलापागोस)|
| ''टॉवर''
| 14 किमी²
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| 15
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| 1.9 किमी²
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| [[दक्षिण प्लाजा(गैलापागोस)|
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| 0.13 किमी²
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== जनसांख्यिकी ==
यह द्वीप दुनिया के उन कुछ स्थानों मे से एक हैं जहां पर कोई देशज जनसंख्या नहीं है। यहां का सबसे बड़ा जातीय समूह [[मेस्टिज़ो
1959 में, लगभग 1000 से 2000 लोगों ने खुद को इन द्वीपों का नागरिक बताया था, 1972 में द्वीपसमूह की एक जनगणना के मुताबिक यह संख्या 3488 हो गयी और 1980 के दशक तक यह संख्या 15,000 तक जा पहुंची। 2006 मे यह और बढ़ कर लगभग 40,000 के आसपास पहुंच गयी।
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== संरक्षण ==
[[चित्र:Galapagos iguana1.jpg|thumb|गैलापागोस की समुद्री गोह]]
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हालांकि गैलापागोस द्वीपो की स्थानीय वनस्पतिक और जीव प्रजातियों के संरक्षण के लिए पहले सुरक्षा अधिनियम [[1934]] में और इसका अनुपूरक [[1936]] में लाया गया, लेकिन इन कानूनों पर वास्तविक अमल [[1950]] के उत्तरार्ध में ही हो पाया। 1955 में, प्रकृति संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय संध ने एक तथ्यांवेषण मिशन को गैलापागोस भेजा, इसके दो साल बाद, [[1957]] में, [[यूनेस्को]] ने ईक्वाडोर सरकार के सहयोग से एक और अभियान को गैलापागोस में संरक्षण की स्थिति का अध्ययन और अनुसंधान केन्द्र के लिए एक स्थान का चयन करने के लिए भेजा।
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मानव द्वारा इन द्वीपों पर गलती या स्वेच्छा से लाये गये पौधे और जानवर, जैसे कि जंगली बकरियाँ, बिल्लियाँ और मवेशी आदि इन द्वीपों की पारिस्थितिकी के लिए मुख्य खतरा साबित हुये हैं। तेजी से प्रजनन करने वाली इन विदेशी प्रजातियों ने यहाँ की मूल प्रजातियों के पर्यावास बरबाद कर दिये हैं। यहाँ की मूल प्रजातियों के जीवों के लिए इन द्वीपों पर कोई प्राकृतिक परभक्षी न होने के कारण वह इन बाहरी जीवों का सामना करने में पूरी तरह असमर्थ थे, यह इन प्रजातियों की संख्या में गिरावट का मुख्य कारण है।
द्वीपों पर बाहर से लाये गये पौधों में [[अमरूद]] ''Psidium guajava'', [[रूचिरा]] ''Persea americana'', कसकारिला ''Cinchona pubescens'', बाल्सा ''Ochroma pyramidale'', ब्लैकबेरी ''Rubus glaucus'', विभिन्न [[निम्बू-वंश
कई प्रजातियों को इन द्वीपों पर समुद्री डाकुओं द्वारा लाया गया था। थॉर हेयेरडाह्ल ने अपने दस्तावेजों में उल्लेख किया है कि पेरू के वायसराय ने यह जानकर कि अंग्रेज जलदस्यु बकरियाँ खाते हैं और उन्होनें इन बकरियों को इन द्वीपों पर छोड़ा है, इन बकरियों के सफाये के लिए इन द्वीपों पर जानबूझकर कुत्तों को छुड़वाया था। इसके अलावा, जब फ्लोरियाना पर बस्ती बसाने के प्रयास असफल हो गये तो जोस डे विल्लामिल ने, द्वीप पर उपस्थित जानवरों जैसे बकरी, गधों, गायों और अन्य पशुओं को अन्य द्वीपों पर स्थानांतरित करने का आदेश दिया, ताकि बाद के बसावत के प्रयासों में सहायता मिले।
गैरस्थानीय सूअर, बकरी, कुत्ते, चूहे, बिल्ली, भेड़, घोड़े, गधे, गाय, मुर्गी, चींटियां, तिलचट्टे, और कुछ परजीवी आज इन द्वीपों पर निवास करते हैं। कुत्ते और बिल्लियाँ यहाँ के पक्षियों, भूमि और समुद्री कछुओं पर हमला कर उनके घोंसले उजाड़ देते हैं। वे कभी कभी छोटे गैलापागोस कछुओं और गोहों को मार डालते हैं। सूअर तो और भी हानिकारक हैं, यह बड़े क्षेत्रों में फैले है और कछुओं और गोह के घोंसले को नष्ट करने के अलावा उनका स्थानीय आहार भी चट कर जाते हैं। सूअर स्थानीय वनस्पति को उनकी जड़ों और वहाँ पाये जाने वाले कीटों को खाने के लिए खोद कर नष्ट कर देते हैं। सूअरों की समस्या सेरो अज़ूल ज्वालामुखी और ईसाबेला में अत्यंत विकट है। सैंटियागो से तो सूअरों ने स्थलीय गोहों का पूरी तरह से सफाया ही कर दिया है जो डार्विन की यात्रा के दौरान इस द्वीप पर प्रचुर मात्रा में विचरण करते थे। काले चूहे (Rattus rattus) छोटे गैलापागोस कछुओं पर उनके घोंसले से निकलने पर आक्रमण करते थे, जिसके कारण पिंज़ोन द्वीप पर पिछले 50 से अधिक वर्षों से इन कछुओं ने प्रजनन करना बंद कर दिया है और द्वीप पर केवल वयस्क कछुए ही पाए जाते हैं। इसके अलावा जहां काले चूहे पाये जाते है, वहाँ से स्थानीय चूहे गायब हो गये हैं। गाय और गधे सारी उपलब्ध वनस्पति खा जाते हैं और द्वीपों पर दुर्लभ पीने के पानी के लिए स्थानीय प्रजातियों के साथ प्रतिस्पर्धा करते हैं। 1959 में मछुआरे पिंटा द्वीप पर एक नर और दो मादा बकरियों को लाये थे, और राष्ट्रीय उद्यान सेवा के एक अनुमान के अनुसार जिनकी संख्या 1973 में बढ़ कर 30,000 हो गयी थी। 1967 में मार्शेना और 1971 में राबिदा पर भी बकरियाँ लाई गयी थीं। हालाँकि, हाल ही में चले एक बकरी उन्मूलन कार्यक्रम के तहत ईसाबेला से बकरियों की अधिकतर आबादी का सफाया कर दिया गया है। बसे हुए द्वीपों पर तेजी से बढ़ रहा पॉल्ट्री उद्योग, स्थानीय संरक्षणवादियों के लिए चिंता का विषय है, उन्हें डर है कि इन पॉल्ट्री पक्षियों की बीमारियाँ स्थानीय और जंगली पक्षियों में फैल सकती हैं।
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विकास की अन्य समस्याओं के अलावा अवैध रूप से मछली पकड़ने की गतिविधियों से गैलापागोस समुद्री अभ्यारण्य को खतरा है। अवैध रूप से मछली पकड़ने वालों की गतिविधियां समुद्री संरक्षित क्षेत्र के लिए बड़ा खतरा पेश करती हैं, क्योकि यह हाँगुर (हैमरहैड और अन्य प्रजातियों) का शिकार को उसके पंखों के लिए, और समुद्री खीरों को बेमौसम मे एकत्र करते हैं। विकास संबंधी गतिविधियां और बढ़ती मानव जनसंख्या स्थलीय और समुद्री दोनों प्रजातियों के लिए खतरा है। बढ़ते पर्यटन उद्योग और अवैध आव्रजन की वृद्धि ने भी द्वीपसमूह के वन्य जीवन को खतरे में डाल दिया है। तेल टैंकर जेसिका से बहे तेल ने फैल कर दुनिया का ध्यान इस खतरे की ओर खींचा है।
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