"द्विध्रुवी विकार": अवतरणों में अंतर
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'''द्रिध्रुवी विकार''' (Bipolar disorder) एक गंभीर प्रकार का [[मानसिक रोग]] है जो एक प्रकार का [[मनोदशा विकार]]
==विकार==
ऐसे व्यक्ति का मूड जल्दी-जल्दी बदलता है। वह कभी खुद को एकदम से खुश महसूस करता है तो एकाएक से अवसाद की अवस्था में भी पहुंच जाता है। खुशी और दुख दोनों ही अवस्थाएं सामान्य नहीं होती है। खुशी की इस अवस्था को मेनिक कहा जाता है। बाईपोलर डिसऑर्डर को मुख्यत: तीन श्रेणियों में बांटा गया है-
*बाईपोलर १
*बाईपोलर २
*साइक्लोथाइमिक डिसऑर्डर
यह विकार पुरुषों और महिलाओं दोनों को प्रभावित करता है। चूंकि यह मस्तिष्क के प्रकायों को प्रभावित करता है जिससे इसका प्रभाव लोगों के सोचने, व्यवहार और महसूस करने में देखा आता है। इसके कारण अन्य लोगों का उनकी स्थिति को समझ पाना मुश्किल हो जाता है। सामान्यत: वयस्कों में ये स्थिति एक हफ्ते से लेकर, एक महीने तक रहती है। कई मामलों में यह इससे कम भी हो सकती है। मेनिक और डिप्रेशन की स्थिति अनियमित होती है और इसका पैटर्न भी समान नहीं होता। यानि हमेशा इसके लक्षण समान नहीं होते। हर व्यक्ति के व्यक्त्वि के अनुसार ये अलग-अलग प्रकट होते हैं।
==दुष्प्रभाव==
बाईपोलर डिसऑर्डर के कारण कुछ लोगों को ड्रग्स और मदिरा की लत लग जाती हैं। इससे ग्रसित लोगों के लिए मदिरा और ड्रग्स बेहद हानिकारक सिद्ध होते हैं और वह व्यक्ति की स्थिति को ज्यादा खराब कर देते है जिससे चिकित्सक के लिए उसका उपचार करना अधिक मुश्किल हो जाता है।
==वैज्ञानिक पक्ष==
बाईपोलर मूड डिसऑर्डर का अब तक कोई सर्वमान्य वैज्ञानिक हल सामने नहीं आया है। ज्यादातर वैज्ञानिक इसके लिए जैवरासायनिक, आनुवांशिक और वातावरण को उत्तरदायी मानते हैं। ऐसा मस्तिष्क के रसायनों (न्यूरोट्रांसमीटर) में असंतुलन की वजह से होता है। न्यूरोट्रांसमीटर में असंतुलन की वजह से मूड को नियंत्रित करने वाला सिस्टम गड़बड़ा जाता है। वहीं इसके लिए जीन भी प्रमुख कारक होते हैं। यदि किसी के सगे संबंधी को बाईपोलर डिसऑर्डर है तो उस व्यक्ति को इसके होने की संभावना काफी हद तक बढ़ जाती है। इसका अर्थ ये भी नहीं निकालना चाहिए कि ये उसको भी हो जाएगा।
वहीं माहौल को भी मनोवैज्ञानिक इस डिसऑर्डर के लिए उत्तरदायी मानते है। परिवार में किसी व्यक्ति की मृत्यु, माता-पिता का तलाक और कई अन्य दर्दनाक हादसों की वजह से व्यक्ति इसका शिकार हो जाता है। मस्तिष्क की संरचना में खराबी के कारण भी ये विकार होता है। कुछ अध्ययनों में ये सामने आया है कि मेंडुला, प्रीफ्रंटल कार्टेक्स और हिप्पोकैंपस में गड़बड़ी की वजह से ऐसी समस्या होती है।
==उपचार==
बाईपोलर मूड डिसऑर्डर को पहचान कर इसका उपचार किया जा सकता है। वयस्कों में इस डिसऑर्डर के लक्षण पता करना ज्यादा मुश्किल नहीं है। बच्चों और टीनेजर्स में इसके लक्षण वयस्कों की तरह नहीं होते हैं, ऐसे में इनमें लक्षण पहचानने में समस्या आती है। उपचार करने से पहले टीएनजर्स की वर्तमान और भूतकाल के अनुभवों की पड़ताल की जाती है। इसके अलावा परिवार के सदस्य और दोस्तों से भी व्यक्ति के व्यवहार के बारे में जानकारी ली जाती है। कई बार टीनेजर्स में इसे पोस्ट ट्राउमेटिक स्ट्रेस डिसऑर्डर, अटेंशन डेफिसिट हाइपरएक्टिविटी डिसऑर्डर जैसा समझ लिया जाता है, जिससे इसके ईलाज में मुश्किलें आती हैं। उपचार मुख्यत: व्यवहारिक लक्षणों और संकेतों के आधार पर किया जाता है। बाद में टेस्ट किए जाते हैं। जैसे सीटी स्कैन ब्रेन बेंट्रीसिल्स (जहां सेरेब्रोस्पाइनल द्रव्य एकत्रित होता है) का बड़ा रूप दिखाता है। वही ब्राइट स्पॉट को दिमाग के एमआरआई द्वारा देखा जा सकता है
मिशीगन विश्वविद्यालय में हुए एक अध्ययन में सामने आया कि बाईपोलर मूड डिसऑर्डर वाले लोगों में रसायन का स्नव करने वाली दिमागी कोशिकाओं की संख्या आम लोगों की तुलना में 30 प्रतिशत ज्यादा होती है। इसके अलावा उनके दिमाग में कैल्शियम या कॉर्टीसोल (एड्रीनल ग्रंथि द्वारा स्नवित स्ट्रेस हार्मोन) की अधिकता होती है। साथ ही दिमाग के सेल रिसेप्टर में असामान्यता देखने में आती है।
==संदर्भ==
* [http://www.livehindustan.com/news/tayaarinews/fitnesshealth/67-72-89583.html पल-पल बदलता मूड]।अनुराग मिश्र
== बाहरी कड़ियाँ ==
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