"बहुव्यक्तित्व विकार": अवतरणों में अंतर

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मल्टीपल पर्सनालिटी डिसऑर्डर के इलाज की प्राथमिक चिकित्सा थेरेपी है। इसके उपचार के लिए प्ले थेरेपी, टॉक थेरपी, हिप्नोसिस थेरेपी का प्रयोग होता है। सामान्यत: मनोचिकित्सक इस रोग के इलाज के लिए औषधियां नहीं देते है। इलाज के दौरान ये प्रयास किया जाता है, कि व्यक्ति वास्तविक जीवन को सदमे से जोड़कर न देखें। थेरेपी एक लंबी प्रक्रिया है, ऐसे में इस बीमारी के इलाज में लंबा समय लग जाता है।
इसके प्रमुख लक्षण मूड में आ रहे उतार चढ़ाव को स्थिर करने के लिए मूड स्टेबेलाइज़र तकनीक का प्रयोग किया जाता है। मूड स्टेबलाइजर का चयन करते वक्त व्यक्ति की उम्र, उसका वजन, डेमोग्राफिक प्रोफाइल, पारिवारिक हिस्ट्री, दवाई का प्रभाव और मेटाबोलिक, एंडोक्राइन और कार्डियोवॉस्कुलर प्रोफाइल देखा जाता है। खुराक की मात्र निश्चित करने से पहले व्यक्ति का मेडिकल प्रोफाइल जांचा जाता है। दवाई का प्रभाव जांचने के लिए व्यक्ति का ईसीजी, शुगर और थॉयरायड टेस्ट कराया जाता है। मूड को स्थिर रखने के लिए दो से तीन साल तक दवाई की जाती है। तकरीबन आधा आराम शुरुआती छह महीनों में मिल जाता है। बाईपोलर डिसऑर्डर और थॉयरायड आपस में जुड़े होते हैं। वहीं अनियमित जीवनशैली भी इसके प्रभावों को बढ़ाने के लिए जिम्मेदार बन सकती है। ज्यादातर स्थितियों में इसके लक्षणों को पहचाना नहीं जाता है। नौकरी की व्यस्तता, कुंठाओं, वैवाहिक समस्याओं, हताशा, प्रॉपर्टी के झगड़ों और बच्चों से विवाद जैसी परेशानियों के कारण बाईपोलर डिसऑर्डर की समस्या पैदा हो सकती है। ध्यान रखें कि जीवन के प्रति नकारात्मक विचार भी इसके लिए उत्तरदायी हो सकते हैं।
 
==संदर्भ==
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==बाहरी सूत्र==
*[http://in.jagran.yahoo.com/news/national/general/5_1_5286500.html/print/ जटिल विकार है मल्टीपल पर्सनैलिटी डिसआर्डर]-याहू जागरण
 
[[श्रेणी:मनोविज्ञान]]