"माधवदेव": अवतरणों में अंतर
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==रचनाएँ==
माधव ने [[भक्तिरत्नावली]] और [[आदिकांड रामायण]] का रूपांतर असमिया छंदो में किया तथा '''नामघोषा''' की रचना की। उन्होंने दो सौ वरगीतों का निर्माण किया जो संप्रदाय के नामसेवा प्रसंग में गाए जाते हैं। "जन्मरहस्य" में सृष्टि के निर्माण और विनाश की लीला वर्णित है। "राजसूय यज्ञ" उनकी एक लोकप्रिय कृति है जिसमें कृष्ण को सर्वश्रेष्ठ देव सिद्ध किया गया है। "अर्जुन भंजन" "चोरधरा" "पिपरा गुंचुवा", "भोजन विहार", और भूमिलाटोवा नाटकों में कृष्ण की बाललीला के विविध प्रसंग चित्रित हुए हैं। "रास झूमूरा"; भूषण हेरोवा, ब्रह्ममोहन और "कटोराखेलावा" उनकी अन्य रचनाएँ हैं। माधवदेव के गीतों की भाषा ब्रजावली हैं किंतु वर्णनात्मक अंश असमिया में लिखे गए हैं। "नामघोषा" इनकी अत्यंत महत्वपूर्ण कृति है जिसमें संपूर्ण शास्त्रों तथा अनुभूतियों का सार अंतर्भुक्त किया गया है। इसमें एक सहस्त्र घोषाएँ हैं।
==बाहरी कड़ियाँ==
*[http://www.livehindustan.com/news/editorial/guestcolumn/57-62-68743.html श्रीमंत का अंतिम समय ]
[[श्रेणी:सन्त महात्मा]]
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