"मेघनाद": अवतरणों में अंतर

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== हनुमान जी के विरुद्ध युद्ध ==
जब भगवान श्री [[राम]] ने [[हनुमान]] जी को माता [[सीता]] की खोज में भेजा और हनुमान जी जब [[लंका]] में [[अशोक वाटिका]] में माता सीता से मिले, उसके उपरान्त हनुमान जी ने अशोक वाटिका को तहस-नहस करना आरम्भ कर दिया। रावण के सारे सैनिक एक एक करके या तो वीरगति को प्राप्त हो गए या तो पराजित होकर भागने लगे। जब रावण को इसी सूचना मिली तो उसने पहले सेनापति [[जांबुमालि|जाम्बुमालि]] और उसके उपरान्त अपने पुत्र राजकुमार [[अक्षय कुमार]] को भेजा परन्तु दोनों ही वीरगति को प्राप्त हो गए। अन्त में रावण ने अपने पुत्र युवराज इन्द्रजीत को अशोक वाटिका भेजा। जब इन्द्रजीत और हनुमान जी के बीच युद्ध आरम्भ हुआ तब इन्द्रजीत ने अपनी सारी शक्ति अपनी सारी माया, अपनी सारी तान्त्रिक विद्या, अपने सारे अस्त्र-शस्त्र सब प्रयोग करके देख लिए परन्तु वह सब के सब निष्फल हो गए। अन्त में इन्द्रजीत ने हनुमान जी पर ब्रह्मास्त्र का प्रयोग किया। हनुमान जी ने ब्रह्मास्त्र का मान रखने के लिए उसमें बँध जाना स्वीकार कर लिया और उसके उपरान्त वे दोनों रावण के दरबार की ओर चल पड़े।
 
== राम रावण युद्ध में योगदान ==