"नबी": अवतरणों में अंतर
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== परिचय ==
वास्तव में नबी ईश्वर का प्रवक्ता है जो ईश्वर की इच्छा प्रकट करता है और धार्मिक शिक्षा देता है। वह यदा कदा [[पूर्वानुमान|भविष्यवाणियाँ]] भी करता है। किंतु इसी के आधार पर नबी को भविष्यवक्ता (प्राफेट) नहीं कहा जाता। यद्यपि [[मूसा]] को भी नबी कहा गया है, तो भी [[इज़राइल|इसराएल]] में
Guvyggvuvhgugनबियों का युग [[सामुएल]] (१०५० ई.पू.) के समय प्रारंभ होता है। कुछ नबी छोटे-छोटे समूहों में रहा करते थे और जनता के दानों से जीविका चलाते थे, दूसरे नबी गृहस्थ थे। वे [[छाल]] का लबादा पहना करते थे। उनके शरीर पर क्षतचिह्न स्पष्ट रूप से दिखाई दिया करते थे क्योंकि वे तपस्या के रूप में अपने शरीर पर घाव किया करते थे। ईश्वर की आत्मा से आविष्ट होकर जब वे भावसमाधि की दशा में पहुँच जाते थे तो वे गाने, नाचने या रोने लगते। उस समय वे कभी विचित्र चेष्टाएँ तथा प्रतीकात्मक कार्य भी संपन्न करते थे। [[बाइबिल]] में झूठे नबियों की भी चर्चा है, जैसे बालदेवता के नबी। वे ईश्वर के नबियों की नकल करते थे और बुरी नीयत से ईश्वर की इच्छा की गलत व्याख्या किया करते थे। आठवीं शताब्दी ई.पू. से छठी श.ई.पू. तक नदियों का स्वर्णकाल है, १२ गौण नदियों के आमोस आदि) इसइया अथवा यशायाह (७४० ई.पू.) जेरेमियाह तथा यहेतकेल (५८० ई.पू.) जैसे महान नबी उस समय के हैं। वे ईश्वर के सच्चे भक्त थे और मूसा की परंपरा तथा उसके नैतिक एकेश्वरवाद को बनाए रखकर उसे विकसित करते थे।
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