"भारतीय संगीत": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
No edit summary |
|||
पंक्ति 2:
वैदिक काल में सामवेद के मंत्रों का उच्चारण उस समय के वैदिक सप्तक या सामगान के अनुसार सातों स्वरों के प्रयोग के साथ किया जाता था। गुरू शिष्य परंपरा के अनुसार, शिष्य को गुरू से वेदों का ज्ञान मौखिक ही प्राप्त होता था व उन में किसी प्रकार के परिवर्तन की संभावना से मनाही थी। इस तरह प्राचीन समय में वेदों व संगीत का कोई लिखित रूप न होने के कारण उनका मूल स्वरूप लुप्त होता गया।
==संगीत के सात
* षडज् (सा)
* ऋषभ (रे)
पंक्ति 10:
* धैवत् (ध)
* निषाद (नि)
इन सात स्वरों में २२ श्रुतियां होती हैं।
==संगीत के प्रकार==
|