"साँचा:आज का आलेख ४ फ़रवरी २०१०": अवतरणों में अंतर
Content deleted Content added
आशीष भटनागर (वार्ता | योगदान) छो साँचा:आज का आलेख ४ फरवरी २०१० का नाम बदलकर साँचा:आज का आलेख ४ फ़रवरी २०१० कर दिया गया है |
No edit summary |
||
पंक्ति 1:
{{आज का आलेख में|नाभिकीय चिकित्सा|'''[[नाभिकीय चिकित्सा]]''' एक प्रकार की [[साँचा:चिकित्सा परीक्षण|चिकित्सकीय जांच तकनीक]] होती है। इसमें रोगों चाहे आरंभिक अवस्था में हो हो या गंभीर अवस्था में, उसकी गहन जांच और उपचार संभव है। [[कोशिका]] की संरचना और जैविक रचना में हो रहे परिवर्तनों पर आधारित इस तकनीक से चिकित्सा की जाती है। यह तकनीक सुरक्षित, कम खर्चीली और दर्दरहित चिकित्सा तकनीक है। सामान्यतया किसी प्रकार के रोग होने के बाद ही [[सीटी स्कैन|सी. टी. स्कैन]], [[एम आर आई|एम.आर.आई]] और [[एक्स-रे]] आदि से परीक्षण करने से प्रभावित अंगो की स्थिति का पता चल पाता है। इस पद्धति में रोगी को एक [[रेडियोधर्मी]] [[समस्थानिक]] को दवाई रूप में इंजेक्स्शन के रास्ते शरीर में दिया जाता है। फिर उसके रास्ते को स्कैनिंग के जरिये देखकर पता लगाय़ा जाता है, कि शरीर के किस भाग में कौन सा रोग हो रहा है। इसके साथ ही इनकी स्कैनिंग के कुछ दुष्प्रभाव (''साइड इफैक्ट'') की भी संभावना होती है। |thyroid scan.jpg|[[आयोडीन]]-१२३ स्कैन}}
|