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'''हिण्डन नदी''', [[उत्तरी भारत]] में [[यमुना नदी]] की एक सहायक नदी है। इसका उद्गम [[सहारनपुर जिला]] में निचले [[हिमालय]] क्षेत्र के ऊपरी [[शिवालिक]] पर्वतमाला में स्थित है। यह पूर्ण वर्षा-आश्रित नदी है और इसका बेसिन क्षेत्र ७,०८३ वर्ग कि.मी. है। यह [[गांगागंगा]] और [[यमुना]] नदियों के बीच लगभग ४०० कि.मी की लंबाई में [[मुज़फ्फरनगर जिळाजिला]], [[मेरठ जिला]], [[बागपत जिला]], [[गाजियाबाद]], [[नोएडा]], [[ग्रेटर नोएडा]] से निकलते हुए [[दिल्ली]] से कुछ ही पहले [[यमुना]] में मिल जाती है।<ref name=hy>{{cite book |title=Hydrology and water resources of India- Volume 57 of Water science and technology library - Tributaries of Yamuna river|last=Jain |first=Sharad K.|authorlink= |coauthors=Pushpendra K. Agarwal, Vijay P. Singh |year=2007|publisher=Springer|location= |isbn=1402051794|page=350 |url=http://books.google.com/books?id=ZKs1gBhJSWIC&pg=RA1-PA345&dq=Yamuna+River&lr=&as_brr=0#v=onepage&q=Yamuna%20River&f=false |ref= }}</ref> कभी महानगर की पहचान मानी जाने वाली हिंडन नदी का अस्तित्व खतरे में है। इसका पानी पीने लायक तो कभी रहा नहीं, अब इस नदी में प्रदूषण इतना बढ़ चुका है कि जलीय प्राणियों का अस्तित्व खतरे में पड़ गया है। ऐसे में हिंडन नदी अब केवल शोध करने तक ही सीमित रह गई है। शोधकर्ताओं ने भी नदी को सीवेज ट्रंक करार दे दिया है। इसमें ऑक्सीजन की मात्रा लगातार घटती जा रही है। वर्षा ऋतु में भी यह लगभग जल विहीन रहती है। नदी में लगातार औद्योगिक अपशिष्ट व पूजन सामग्री आदि डाले जाने से उसमें घुलित ऑक्सीजन की मात्रा दो से तीन मिलीग्राम प्रति लीटर रह गई है। शोधकर्ता डॉ. प्रसूम त्यागी के अनुसार प्रायः ऑक्सीजन का स्तर छह मिलीग्राम प्रति लीटर या ज्यादा होना चाहिए। यही कारण है कि नदी में मोहन नगर व छगारसी के पास ही जलीय जीवन के नाम पर केवल काइरोनॉस लार्वा ही बचा है, जो भारी जल प्रदूषण का संकेत है। यह सूक्ष्म जीव की श्रेणी में आता है।
 
हिंडन नदी में मोहन नगर औद्योगिक क्षेत्र से डिस्टलरी का अपशिष्ट, वेस्ट डिस्चार्ज, धार्मिक पूजन सामग्री व मलमूत्र मिलते हैं। इसके बाद
छगारसी ग्राम में पशुओं को नहलाना व खननआदि होता है, जिसके कारण प्रदूषण में बढोत्तरी होती है। लगभग दस साल पहले तक नदी में अनेक कशेरुकी प्राणी, मछलियां व मेढ़क आदि मिलते थे, जो कि वर्तमान में मात्र सूक्ष्मजीव,काइरोनॉमस लार्वा, नेपिडी, ब्लास्टोनेटिडी, फाइसीडी, प्लैनेरोबिडी परिवार के सदस्य ही बचे हैं।
 
==सहायक नदियां==
[[दून घाटी]] से निकलती [[काली नदी]], १५० कि.मी. की यात्रा में [[सहारनपुर]], [[मुजफ्फरनगर]], [[मेरठ]]और [गाजियाबाद]] होते हुए हिंडन नदी में इसके यमुना में मिलन से पूर्व ही मिलती है। काली नदी भी उच्च प्रदूषण लेकर चलती है, व पश्चिंई उत्तर प्रदेश का बहुत सा प्रदूषित जल यमुना को पहूंचाती है। <ref name=hy/>.
==संदर्भ==
{{टिप्पणी सूची}}