"पनडुब्बी": अवतरणों में अंतर

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[[चित्र:ALVIN submersible.jpg|right|thumb|सन् १९७८ में ''एल्विन'']]
[[चित्र:German UC-1 class submarine.jpg|thumb|right| प्रथम विश्व युद्ध में प्रयुक्त [[जर्मनी]] की यूसी-१ श्रेणी की पनडुब्बी]]
[[चित्र:German UC-1 class submarine.jpg|thumb|right| प्रथम विश्व युद्ध में प्रयुक्त [[जर्मनी]] की यूसी-१ श्रेणी की पनडुब्बी]]'''पनडुब्बी'''([[अंग्रेज़ी:सबमैरीन) एक प्रकार का जलयान (''वॉटरक्राफ़्ट'') है जो पानी के अन्दर रहकर काम कर सकता है। यह एक बहुत बड़ा, मानव-सहित, आत्मनिर्भर डिब्बा होता है। पनडुब्बियों के उपयोग ने विश्व का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बड़ी भूमिका निभाई है। पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार बन गई हैं। यद्यपि पनडुब्बियाँ पहले भी बनायी गयीं थीं, किन्तु ये [[उन्नीसवी शताब्दी]] में लोकप्रिय हुईं तथा सबसे पहले [[प्रथम विश्व युद्ध]] में इनका जमकर प्रयोग हुआ। दुनियाविश्व की पहली पनडुब्बी एक डच वैज्ञानिक द्वारा सन [[१६०२]] में और पहली सैनिक पनडुब्बी '''टर्टल''' [[१७७५]] में बनाई गई। यह पानी के भीतर रहते हुए समस्त सैनिक कार्योंकार्य कोकरने करमें सकतीसक्षम थी और इसलिए इसके बनने के १ वर्ष बाद ही इसे [[अमेरिकी क्रान्ति]] में प्रयोग में लाया गया था। सन [[१६२०]] से लेकर अब तक पनडुब्बियों की तकनीक और निर्माण में आमूलचूल बदलाव आया। [[१९५०]] में परमाणु शक्ति से चलने वाली पनडुब्बियों ने डीज़ल चलित पनडुब्बियों का स्थान ले लिया। इसके बाद समुद्री जल से [[आक्सीजन]] ग्रहण करने वाली पनडुब्बियों का भी निर्माण कर लिया गयागया। इन दो महत्वपूर्ण आविष्कारों से पनडुब्बी निर्माण क्षेत्र में क्रांति सी आ गई। आधुनिक पनडुब्बियाँ कई सप्ताह या महिनों तक पानी के भीतर रहने में सक्षम हो गई है।
 
[[द्वितीय विश्व युद्ध]] के समय भी पनडुब्बियों का उपयोग परिवहन के लिये सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता था। आजकल इनका प्रयोग पर्यटन के लिये भी किया जाने लगा है। कालपनिक साहित्य संसार और फंतासी चलचित्रों के लिये पनडुब्बियों का कच्चे माल के रुप मे प्रयोग किया गया है। पनडुब्बियों पर कई लेखकों ने पुस्तकें भी लिखी हैं। इन पर कई उपन्यास भी लिखे जा चुके हैं। पनडुब्बियों की दुनिया को छोटे परदे पर कई धारावाहिको में दिखाया गया है। [[हॉलीवुड]] के कुछ चलचित्रों जैसे आक्टोपस १, आक्टोपस २, द कोर में समुद्री दुनिया के मिथकों को दिखाने के लिये भी पनडुब्बियो को दिखाया गया है।
==रूपाकार==
==आकार==
पनडुब्बी के भीतर कृत्रिम रुप से जीवन योग्य सुविधाओं की व्यस्था की जाती है। आधुनिक पनडुब्बियाँ अपने चालक दल के लिये प्राणवायु [[ऑक्सीजन]] समुद्री जल के विघटन की प्रक्रिया से प्राप्त करती है। पनडुब्बियों में [[कार्बन डाईऑक्साइड]] को अवशोषित करने की भी व्यस्था होती है ताकि पनडुब्बी के भीतर कार्बन डाईऑक्साइड ना भर जाए। ऑक्सीजन की पर्याप्त उपलब्धता के लिये पनडुब्बी में एक ऑक्सीजन टंकी भी होती है। आग लगने पर बचाव के लिये भी व्यस्था की जाती है। आग लगने की स्तिथिस्थिति में जिस भाग में आग लगी होती है, उसे शेष पनडुब्बी से विशेष रुप से बने परदों की सहायता से अलग कर दिया जाता है ताकि विषैली गैसें बाकी पनडुब्बी में ना फैले।
 
==भारतीय नौसेना में पनडुब्बियाँ==
==इतिहास==
पनडुब्बियों के उपयोग ने दुनिया का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बडी़ भूमिका निभाई है। पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार बन गई हैं। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पनडुब्बियों का उपयोग परिवहन के लिये सामान को एक स्थान से दूसरे स्थान तक ले जाने के लिए किया जाता था। आजकल इनका प्रयोग पर्यटन के लिये भी किया जाने लगा है। पनडुब्बियों के उपयोग ने दुनिया का राजनैतिक मानचित्र बदलने में बहुत बडी़ भूमिका निभाई है। पनडुब्बियों का सर्वाधिक उपयोग सेना में किया जाता रहा है और ये किसी भी देश की नौसेना का विशिष्ट हथियार बन गई हैं। [[द्वितीय विश्व युद्ध]] में पनडुब्बियों की भूमिका महत्वपूर्ण थी। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान पनडुब्बियों का उपयोग एक स्थान से दूसरे स्थान तक सामान परिवहन के लिये किया जाता था। आजकल के दिनों में तो इनका प्रयोग पर्यटन के लिये भी किया जाने लगा है।
 
कालपनिक साहित्य संसार और फंतासी चलचित्रों के लिये पनडुब्बियों का कच्चे माल के रुप मे प्रयोग किया गया है। पनडुब्बियों पर कई लेखकों ने पुस्तकें भी लिखी हैं। इन पर कई उपन्यास भी लिखे जा चुके हैं। पनडुब्बियों की दुनिया को छोटे परदे पर कई धारावाहिको में दिखाया गया है। [[हॉलीवुड]] के कुछ चलचित्रों जैसे आक्टोपस १, आक्टोपस २, द कोर में समुद्री दुनिया के मिथकों को दिखाने के लिये भी पनडुब्बियो को दिखाया गया है।
 
==भारतीय नौसेना में पनडुब्बियाँ==
[[चित्र:INS Sindhurakshak (S63).jpg|thumb|right|सिंधु राक्षस, भारतीय नौसेना की शत्रु विनाशक पनडुब्बी, ३००० टन वजन की यह पनडुब्बी सतह से २४० मीटर नीचे-नीचे ६४० किलोमीटर तक शत्रु सीमा में प्रवेश कर सकती है।]]
विश्व की सभी प्रमुख नौसेनाओं के समान ही [[भारतीय नौसेना]] ने भी अपने बेडे़बेड़े में पनडुब्बियों को सम्मिलित किया है। भारतीय नौसेना के बेडे़बेड़े में वर्तमान में १६ [[डीज़ल]] चलित पनडुब्बियाँ हैं। ये सभी पनडुब्बियाँ मुख्य रुप से रुस या जर्मनी में बनीं हुईं हैं। वर्ष [[२०१०]]-११ में इस बेडे़बेड़े मे ६ और पनडुब्बियाँ सम्मिलित कर ली जाएगीं। भारतीय नौसेना पोत (आई एन एस) [[आई एन एस अरिहंत|अरिहंत]] (अरि: शत्रु हंतः मारना अर्थात शत्रु को मारने वाला) परमाणु शक्ति चालित भारत की प्रथम पनडुब्बी है।<ref>{{cite web |url= http://www.dw-world.de/dw/article/0,,4519112,00.html
|title=नौसेना को सौंपी गई आईएनएस अरिहंत|accessmonthday=[[२१ नवंबर]]|accessyear=[[२००९]]|format=|publisher=डायचे (''Deutsche'') जर्मनी की प्रसारण सेवा|language=}}</ref> इस ६००० टन के पोत का निर्माण उन्नत प्रौद्योगिकी पोत (ATV) परियोजना के अंतर्गत पोत निर्माण केंद्र विशाखापत्तनम में २.९ अरब [[अमेरिकी डॉलर|डॉलर]] की लागत से किया गया है। इसको बनाने के बाद भारत वह छठा देश बन गया जिनके पास इस प्रकार की पनडुब्बियां है।