"वैवस्वत मनु": अवतरणों में अंतर

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इन आर्यों के ही कई समूह अलग-अलग झुंडों में पूरी धरती पर फैल गए और वहाँ बस कर भाँति-भाँति के धर्म और संस्कृति आदि को जन्म दिया। मनु की संतानें ही आर्य-अनार्य में बँटकर धरती पर फैल गईं। पूर्व में यह सभी देव-दानव कहलाती थीं। इस धरती पर आज जो भी मनुष्य हैं वे सभी वैवस्वत मनु की ही संतानें हैं इस विषय में विद्वानों में मतभेद हैं।
 
==संदर्भ==
*[http://hindi.webdunia.com/religion/sanatandharma/history/0909/04/1090904045_1.htm वैवस्वत मनु के इतिहास की रूपरेखा ]
*[http://hindi.webdunia.com/religion/sanatandharma/history/0909/02/1090902058_1.htm हिंदू इतिहास की भूमिका ]
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[[श्रेणी:मनु]]