"रणकपुर": अवतरणों में अंतर

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[[Image:Worshippers leaving the temple in Ranakpur.jpg|right|thumb|300px|रणकपुर के जैन मंदिर से निकलते तीर्थ यात्री]]
[[राजस्‍थान]] में स्थित रणकपुर जैन धर्म के पांच प्रमुख तीर्थस्‍थलों में से एक है। यह स्‍थान खूबसूरती से तराशे गए प्राचीन जैन मंदिरों के लिए प्रसिद्ध है। इन मंदिरों का निर्माण 15 वीं शताब्‍दी में राणा कुंभा के शासनकाल में हुआ था। इन्‍हीं के नाम पर इस जगह का नाम रणकपुर पड़ा। यहां के जैन मंदिर भारतीय स्‍थापत्‍य कला का अद्भुत नमूना है। केवल रणकपुर में ही नहीं बल्कि उसके आस पास की जगहों में भी अनेक प्राचीन मंदिर हैं। जैन धर्म के आस्‍था रखने वालों के साथ-साथ वास्‍तुशिल्‍प के दिलचस्‍पी रखने वालों को भी यह जगह बहुत भाती है।
 
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===जैन मंदिर===
{{seealso|रणकपुर जैन मंदिर}}
[[Image:Worshippers leaving the temple in Ranakpur.jpg|right|thumb|300px|रणकपुर के जैन मंदिर से निकलते तीर्थ यात्री]]
मुख्‍य मंदिर प्रथम जैन तीर्थंकर [[आदिनाथ]] को समर्पित चौमुख मंदिर है। यह मंदिर चारों दिशाओं में खुलता है। इस मंदिर का निर्माण 1439 में हुआ था। संगमरमर से बने इस खूबसूरत मंदिर में 29 विशाल कमरे हैं जहां 14 खंबे लगे हैं। इनकी खासियत यह है कि ये सभी खंबे एक-दूसरे से भिन्‍न हैं। मंदिर के पास के गलियारे में बने मंडपों में सभी 24 तीर्थंकरों की तस्‍वारें उकेरी गई हैं। सभी मंडपों में शिखर हैं और शिखर के ऊपर घंटी लगी है। हवा चलने पर इन घंटियों की आवाज पूरे मंदिर में गूंजती है।
 
मंदिर परिसर में [[नेमीनाथ]] और [[पारसनाथ]] को समर्पित दो मंदिर हैं जिनकी नक्‍काशी खजूराहो[[खजुराहो]] की याद दिलाती है। 8वीं शताब्‍दी में बने [[सूर्य मंदिर]] की दीवारों पर योद्धाओं और घोड़ों के चित्र उकेरे गए हैं। मुख्‍य मंदिर से लगभ्‍ाग 1 किमी. की दूरी पर अंबा माता मंदिर है।
 
==निकटवर्ती दर्शनीय स्‍थल==